Maulna Arshad Madani: जमीअत उलमा-ए-हिंद के केन्द्रीय कार्यालय के मदनी हाल, नई दिल्ली में जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की एक अहम बैठक अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में आयोजित हुई, बैठक में हिस्सा लेने वालों ने देश की मौजूदा हालत पर विचार-विमर्श करते हुए देश में बढ़ती हुई सांप्रदायिकता, उग्रवाद, बिगड़ती क़ानून व्यवस्था और मुस्लिम अल्पसंख्यक के खिलाफ घोर भेदभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की.


मुस्लिम लड़कियों को किया जा रहा है टारगेट


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देश में तेज़ी से फैल रहे इर्तिदाद (धर्मत्याग) के फित्ने को खतरनाक क़रार देते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ इसे प्लानिंग के तहत तरीक़े से शुरू किया गया है, जिसके तहत हमारी बच्चियों को निशाना बनाया जा रहा है, अगर इस फित्ने को रोकने के लिए तुरंत प्रभावी उपाय न किए गए तो आने वाले दिनों में स्थिति विस्फोटक हो सकती है.


उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस फित्ने को सहशिक्षा के कारण ऊर्जा मिल रही है और हमने इसी लिए इसका विरोध किया था. तब मीडिया ने हमारी इस बात को नमारात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत करते हुए यह प्रोपेगंडा किया था कि मौलाना मदनी लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ हैं, जबकि हम सहशिक्षा के खिलाफ हैं, लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नहीं. उन्होंने कहा- अपनी बच्चियों को धर्मत्याग के प्रलोभन से बचाने के लिए हमें अपने शिक्षण संस्थान खोलने ही होंगे.


यह भी पढ़ें: JNU से रूसी भाषा में ग्रेजुएट हसन एक बड़े मिशन के लिए व्हील चेयर से कर रहा है यात्रा


अब मध्य प्रदेश में मुसलमानों को बेघर करने की योजना


असम, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड में मुसलमानों को बेघर करने की योजना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि असम में सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के आरोप में जहां सौ-सौ साल से बसने वाली मुस्लिम बस्तियों को उजाड़ा जा रहा है वहीं मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन में महाकुंभ की एक पार्किंग के निर्माण के लिए मुसलमानों को बेघर कर देने की योजना बनाई जा रही है, जबकि उत्तराखण्ड के हरिद्वार में रेलवे ट्रैक को चैड़ा करने की आड़ में 43 सौ मुस्लिम और कुछ गैर मुस्लिम परिवारों को बेघर कर देने का अभियान शुरू हो चुका है, लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है.


अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मौलाना मदनी ने कहा- लेकिन खतरा अभी बरकरार है. उन्होंने कहा कि यह क्या न्याय है कि दशकों से आबाद लोगों को बेघर कर दिया जाए, उन्हें उचित मुआवजा भी न दिया जाए और उनके पुनर्वास के लिए वैकल्पिक ज़मीन भी न दी जाए.