Maulana Kaleem Siddiqui: मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आज रिहाई मिल गई है. दावा है कि उन्हें 590 दिन के बाद रिहाई मिली है. वह धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत जेल में थे. उन्हें 21 सितंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के इंटी टेररिस्ट स्क्वाड ने गिरफ्तार किया था. मौलाना कलीम की तरफ से अदालत में वकील एस एम रहमान फैज, ब्रिज मोहन सहाय और जियाउल कय्यूम जिलानी ने पैरवी की थी. 


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मशहूर मौलवी हैं कलीम


सिद्दीकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मशहूर मौलवियों में से एक हैं. वह ग्लोबल पीस सेंटर के चैयरमैन भी हैं. वह जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाते हैं. आपको बता दें कि मुस्लिम स्कॉलर मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी समेत दर्जन भर मुस्लिम इसी तरह के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत जेल में हैं.


ATS ने की थी जांच


मौलाना कलीम सिद्दीकी को गिरफ्तार करने के बाद उत्तर प्रदेश के ADG (लॉ एंड आर्ड) प्रशांत कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि मौलाना सिद्दीकी के बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण रैकेट के साथ लिंक हैं. कुमार ने कहा था कि "मौलाना कलीम के बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण रैकेट के साथ लिंक हैं जिसे ATS ने इस साल ढूंढ निकाला है. उन्होंने सिर्फ धर्मांतरण ही नहीं कराया बल्कि अवैध धर्मांतरण के लिए मदरसों को पैसा भी दिया." 


विदेशों से पैसा मिलने का इल्जाम


उन्होंने कहा था कि सिद्दीकी के ट्रस्ट को विदेशों से पैसा मिलता है. उन्होंने आगे कहा कि "जांच में पाया गया है कि मौलाना कलीम के ट्रस्ट को 1.5 करोड़ रुपये बहरीन से मिलने के साथ पूरे 3 करोड़ रुपये विदेशों से मिले हैं." उन्होंने बताया था कि मौलाना के केस की जांच करने के लिए 6 लोगों की टीम बनाई गई थी. 


अमानतुल्ला ने गिरफ्तारी की थी आलोचना


एक स्टेटमेंट में ATS ने कहा था कि मौलाना सिद्दीकी जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाते हैं जिसे विदेशों से चंदा मिला और इससे मदरसों को चंदा दिया. जब मौलाना को गिरफ्तार किया गया था तब मकामी लोगों ने लिसारी गेट पुलिस स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया था. आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने मौलाना की गिरफ्तारी को "मुसलमानों के खिलाफ क्रूरता" बताया था.


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