Asian Countries Relationship: पड़ोसी देश श्रीलंका को हालिया दिनों बड़े आर्थिक संकट का सामना है. श्रीलंका को इस संक्ट से निकालने के लिए भारत ने अरोबी डॉसर की आर्थिक मदद की, लेकिन अब श्रीलंका की सरकार भारतीय सहयोग को नजरअंदाज करते हुए भारत के खिलाफ ही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. यानी श्रीलंका ने भारतीय एहसान को फरामूश कर भारत के दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान के मफाद में काम करना शुरू कर दिया है. श्रीलंका की नई हुकूमत ने सबसे पहले पाकिस्‍तान के सबसे घातक युद्धपोत पीएनएस तैमूर को अपने यहां लंगर डालने और सैन्‍य अभ्‍यास की मंजूरी दे दी. फिर चीन के शक्तिशाली जासूसी जहाज युआन वांग 5 को अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की दोबारा इजाजत दे दी. जब भारत ने इसपर एतराज जताया तो श्रीलंका ने इसे खारिज कर दिया. आखिर ऐसा श्रीलंका कर क्यों कर रहा है. जानकारों का मानना है कि श्रीलंका के इस कदम के पीछे चीन के साथ बड़ा लालच और पाकिस्तान का एक पुराना एहसान है जिसके कारण श्रीलंका अपने हमदर्द देश भारत को नजरअंदाज तक कर दिया. आइए पूरा मामला जानिए...


श्रीलंका पाकिस्तान के साथ करने जा रहा युद्धाभ्यास


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पहले बात करते हैं श्रीलंका पर पाकिस्तान के उस एहसान की, जिसके कारण श्रीलंका पाकिस्तान के साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर काम करने को तैयार है. दरअसल श्रीलंका ने पाकिस्‍तानी नौसेना के सबसे आधुनिक युद्धपोत पीएनएस तैमूर को न सिर्फ अपने यहां पनाह दी है, बल्कि उसके साथ फौजी मश्क करने जा रही है. पाकिस्तान ने इस जंगी जहाज को चीन से खरीदा है और ताकत का मुजाहिरा करने के लिए बंग्लादेश जाने का इरादा था, लेकिन बांग्लादेश की सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई. फिर श्रीलंका ने इस जंगी जहाज को अपना पनाह दे दी और साथ में फौजी अभ्यास करने का भी ऐलान कर दिया.


श्रीलंका पर पाकिस्तान का ये है एहसान


अब बात पाकिस्तान के उस एहसान की, जिसके कारण श्रीलंका पाकिस्तान को नहीं छोड़ना चाहता है. दरअसल श्रीलंका की फौज जब देश तमिल उग्रवादी गुट लिट्टे से लड़ रही थी, तो उस वक्त पाकिस्तानी फौज ने लिट्टे ग्रुप के खात्मे के लिए बड़ा किरदार अदा किया था. इस लड़ाई के लिए पाकिस्तान ने श्रीलंका की हर मुमकिन मदद की थी. सारे फौजी साजो सामान को श्रीलंका को दिए थे, जिसकी वजह से लिट्टे गुट खात्मा मुमकिन हो सका था. पाकिस्‍तान ने 10 करोड़ डॉलर के टैंक और 6.5 करोड़ डॉलर के हथियार श्रीलंका को भेजे थे. हालांकि पहले श्रीलंका ने भारतीय हुकूमत ने मदद तलब की थी, लेकिन भारत ने हथियारों से मदद करने से इंकार कर दिया था.


चीन का जासूसी जहाज श्रीलंका के बंदरगाह पर लंगर-अंदाज़


अब बात चीन के जासूसी वाले जहाज की. श्रीलंका की हुकूमत ने  चीन के जासूसी जहाज युआन वांग 5 को अगले हफ्ता ही अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की इजाजत दे दी है. ये बंदरगाह फिलहाल चीन के कंट्रेल में है. जबकि जानकारों का मानना है कि चीन आने वाले दिनों में इसका इस्तेमाल नौसैनिक बेस के रूप में कर सकता है. जैसे ही श्रीलंका ने चीन के जासूसी वाले जहाज को अपने बंदरगाह में रुकने की इजाजत दी तो भारत और अमेरिका ने इसका सख्त विरोध किया. जिसका असर ये हुआ कि श्रीलंका ने चीन से इस यात्रा को स्थगित करने की गुजारिश की थी. लेकिन फिर चीन के सामने श्रीलंका झुक गया. 


चीन ने श्रीलंका को दिया ये लालच


आखिर वह क्या वजह से जिसके चलते श्रीलंका ने भारत और अमेरिका के विरोध को नजरअंदाज कर दिया. दरअसल आर्थिक संकट के शिकार श्रीलंका को अरबों डॉलर का कर्ज दे रखा है. जानकारी के मुताबिक, अब चीन ने श्रीलंका को ये लाचल दिया है कि कि वह कोलंबो को दिए अपने इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लोन को रिस्‍ट्रक्‍चर करेगा. श्रीलंका के लिए यह कर्ज का रिस्‍ट्रक्‍चर होना इसलिए जरूरी है कि अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष से बेलआउट पैकेज लेना है. अब जब चीन श्रीलंका को दिए गए अपने को रिस्‍ट्रक्‍चर कर देगा तो श्रीलंका को आईएमएफ से भी कर्ज आसानी से मिल जाएगा.


 


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