Mirzapur News: कालीन का काम सिमटता जा रहा है. इस काम में लगे मजदूर काफी परेशान हैं. दिन में केवल 200 रुपयों की ही कमाई हो पाती है. महंगाई बढ़ती जा रही है, लेकिन मजदूरों की तनख्वाह ज्यों के त्यों है. काली और दरी बनाने वाले मजूद ऐसे में पलायन करने पर मजबूर हैं. कई मजदूरों का कहना है कि कमाई बढ़ने के बजाय घटती जा रही है. जिसकी वजह से केवल 2 वक्त की रोटी ही नसीब हो पाती है.


खत्म होता जा रहा है कालीन का रोजगार


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कई साल पहले आई कालीन के रोजगार में मंदी के बाद अब तक ये धंधा उबर नहीं पाया है. बढ़ती महंगाई के कारण इस धंधे में मजदूरी कम होती जा रही है. ऐसे में मजदूरों के साथ-साथ मालिक भी इस धंधे को छोड़ने पर मजबूर हैं. घटती सैलरी के कारण मजदूर पलायन करने पर मजबूर हैं. 


सालों से काम में लगे कुछ मजदूर अपना हाल-ए-दिल बयां करते हुए कहते हैं कि इस काम में केवल दो वक्त की रोटी नसीब हो सकती है. अगर आप बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं या फिर घर बनाना चाहते हैं तो नहीं हो सकता. हर बार मजदूरी बढ़ने के बजाय घट जाती है. महंगाई बढ़ रही है लेकिन अभी भी मजदूरी काफी कम है. ऐसे में कोई और काम ढूंढना पड़ रहा है.


सरकार की योजनाएं विफल


आपको जानकारी के लिए मिर्जापुर कारपेट के काम के लिए जाना जाता है. उत्तर प्रदेश सरकार के जरिए लॉन्च की गई वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम से भी इस धंधे को कोई लाभ मिलता नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर मिर्जापुर का नाम वन डिस्ट्रिक्ट वन स्कीम में तो आता है लेकिन इससे मजदूरों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. मिर्जापुर के मजदूर अब सरकार से उम्मीद खो चुके हैं और पलायन करने पर मजबूर हैं. कई लोगों का कहना है कि सरकार की ये योजनाएं केवल कागजी साबित हो रही हैं.