Assam News: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की उस टिप्पणी को लोग भूल नहीं पाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी को अगले 10 सालों तक 'मियां' लोगों के वोटों की जरूरत नहीं हैं, जब तक कि वे बाल विवाह जैसी कुछ सामाजिक प्रथाओं को छोड़कर खुद में सुधार नहीं कर लेते. अब इस समुदाय ने सीएम के इस बयान को ‘उनके अस्तित्व को ही नकारने के समान’ बताया है.


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सीएम के रुख में आई नरमी
हालांकि, लोकसभा इलेक्शन में सीएम के रुख में नरमी आई हैं और असम में बड़ी संख्या में मौजूद बांग्ला भाषी मुसलमानों के घर जाकर बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं, लेकिन समुदाय के सदस्य उनके बयान को भूलने और उन्हें माफ करने को तैयार नहीं हैं. 


महिला ने सीएम से किया सवाल
नगांव लोकसभा सीट के धींग में रहने वाले रुहुल अमीन ने हिमंत बिस्वा सरमा  से सवाल किया, ‘‘आपने कहा कि मियां वोटों की जरूरत नहीं है. अब जब आप देख रहे हैं कि हमारे वोट के बिना आप कई सीटों पर नहीं जीत सकते तो आप हमारे पास आ रहे हैं. आपको हमारी जरूरत सिर्फ इलेक्शन के वक्त पड़ती है. जब आप हमें चाहते ही नहीं तो हम आपका समर्थन क्यों करें?'' 


‘मियां’ शब्द के हैं क्या मायने
‘मियां’ शब्द असम में बांग्ला भाषी मुस्लिमों के लिए बोला जाने वाला शब्द है और गैर-बांग्ला भाषी लोग सामान्य तौर पर उन्हें बांग्लादेशी प्रवासी के रूप में देखते हैं. मियां समुदाय से जुड़े 56 साल के अमीन ने कहा कि लोगों को हिमंत बिस्वा सरमा और उनकी सरकार के कई मंत्रियों के 2021 से दिए गए अनेक अपमानजनक बयान याद आ रहे हैं, जब राज्य में दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनी थी.


56 साल के अमीन ने क्या कहा?
अमीन ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा था कि मियां महिलाएं बच्चे पैदा करने की मशीन हैं. इससे हम सब, खासतौर पर हमारे समुदाय की महिलाएं आहत हुई थीं. सीएम दावा कर सकते हैं कि इस बार सभी मियां महिलाएं और नौजवान उनके लिए मतदान करेंगे, लेकिन वह गलत साबित होंगे.’’


असम के सीएम ने क्या कहा था?
हिमंत बिस्वा सरमा इस साल फरवरी में कहा था कि वह अगले दो साल तक ‘मियां’ वोट नहीं मांगेंग, क्योंकि उससे पहले बाल विवाह तथा अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने जैसे अनेक कल्याणकारी कार्य करने हैं. हालांकि, सरमा ने पिछले महीने एक चुनावी सभा में अपने रुख में नरमी लाते हुए विश्वास जताया कि ‘मियां’ समुदाय की लड़कियां, महिलाएं और नौजवान के उत्थान के लिए किए गए अच्छे कामों की वजह से बीजेपी के लिए मतदान करेंगे.


इस सीट पर सबसे ज्यादा हैं मुस्लिम वोटर्स
नगांव संसदीय क्षेत्र में परिसीमन के बाद कुल 18.2 लाख मतदाताओं में 10.5 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. नगांव में 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है. इस सीट से कांग्रेस के मौजूदा सांसद प्रद्युत बोरदोलोई दूसरी बार संसद पहुंचने की मशक्कत कर रहे हैं और उनकी सीधी लड़ाई अपने पूर्ववर्ती सहयोगी सुरेश बोरा से है जो पहले कांग्रेस में ही थे और करीब तीन महीने पहले बीजेपी में शामिल हुए हैं.