राजगढ़ः तमाम सरकार अपनी अवाम के फायदे के लिए लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाती हैं, लेकिन क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि सरकार की कोई योजना लोगों की जान भी ले सकती है? मध्यप्रदेश के राजगढ़ के माना गांव में ऐसा हुआ है, जहां एक सरकारी योजना की वजह से 3 लोगों की मौत हो गई है. जिस योजना के नाम पर शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश सहित देश की राजधानी दिल्ली तक में अपनी वाहवाही बटोरी थी, उसी योजना ने तीन लोगों की जिंदगी लील ली है. 
दरअसल, केंद्र सरकार की फ्लैगशिप स्कीम नल जल योजना यानी जल जीवन मिशन को लागू करने के लिए मध्य प्रेदश सरकार को केंद्र से कभी भरपूर शाबासी मिली थी. लेकिन उसी योजना की नाकामी की वजह से 3 लोगों की मौत ने प्रदेश सरकार पर सवालिया निशान खडे़ किर दिए हैं.


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पानी के लिए अपने घरों में ही कुएं खोद रहे हैं गांव के लोग 
मध्य प्रदेश के राजगढ़ गांव में तीन लोगों की मौत से पूरे गांव में मातम मच गया है. 3 हजार की आबादी वाले इस गांव में डेढ़ सौ के आसपास घर है. इस गांव में सरकार की हर घर तक टोंटी से जल पहुंचाने की योजना तो पहुंची पर टोटिंयों से घर तक पानी नहीं पहुंचा. शायद यही वजह है कि लोगों ने अपने घरों में कुएं खुदवा रखें हैं और यही कुएं अब लोगों के लिए कब्रगाह बन रहे हैं. 3 लोगों की कुएं में शव मिलने से ग्रामीणों में भारी नाराजगी है.राजगढ़ का ये माना गांव आजादी के बाद से आज तक पेयजल संकट से जूझ रहा है. यहां के घरों में नल तो है लेकिन उन नलों में जल नहीं है. हर घर तक सरकार की नल जल योजना की टोटी तो पहुंची पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है.


जल संकट से जूझ रहा गांव, हर घर मे मौत का कुआं
माना में मातम पसरा हुआ. मातम के लिए सरकार जिम्मेदार है. जल संकट ने तीन घरों के चिराग बुझा दिए हैं. घरों में बने कुए में तीन दलितों की जान लेली हैं. 30 वर्षीय ओम प्रकाश अहिरवार, 30 वर्षीय कांता प्रसाद अहिरवार और 24 वर्षीय विष्णु अहिरवार हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए हैं. ज़ी मीडिया संवाददाता प्रमोद शर्मा ने जब राजगढ़ के माना गांव में 3 लोगों की कुएं में मौत को लेकर गांव में जल संकट का हाल जाना तो हर घर में एक कुआं पाया गया. ग्रामीणों का साफ कहना है कि गांव में पानी का भीषण संकट है, इसलिए घरों में कुआं खोदकर इनमें पानी स्टोर किया जाता है.

घरों तक नल तो पहुंचा लेकिन उसमें नहीं है पानी 
तीन लोगों की कुएं में मौत के लिए ग्रामीणों ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. गांव के लोगों ने साफ कहा है कि अगर जल जीवन मिशन सरकार की योजना गांव में चल रही होती तो 3 लोगों की मौत नहीं हुई होती. सरकार की जल जीवन मिशन के तहत घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. हर घर में पानी का नल कहीं बंद हुए तो कहीं खुले हुए नजर आएंगे. माना गांव में मौत के कुएं नजर आ रहे हैं. ग्रामीणों का रो-रो कर बुरा हाल है. रमेश ठेकेदार ने अपना भतीजा खो दिया है. उसने कहा, "जल संकट नहीं होता तो हमारे तीन साथी नही मरे होते."  


मौत के साधन के तौर पर मजबूरी में कुएं खोद रहे हैं ग्रामीण 
ग्रामीण अनिल मालवीय ने कहा, "कहां जाता है जल ही जीवन है. जल है तो कल है और यही जल संकट लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है. माना गांव आजादी के बाद से जल संकट से जूझ रहा है. सरकार की योजना ने गांव में दम तोड़ दिया है. लोगों को मजबूरी में मौत के साधन जैसे कुएं खोदने पड़ रहे हैं. यही कुएं लोगों के लिए जानलेवा बन रहे हैं. सरकार की योजनाएं कागजों पर दौड़ रही है. जमीन पर इन योजनाओं ने दम तोड़ दिया है. "  


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