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भोपाल: भोपाल और देश भर में आदर व सम्मान के साथ जाने जाने वाले धार्मिक विद्वान, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और ऑल इंडिया जमीयत उलेमा हिन्द के उपाध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती अब्दुर्रज़्ज़ाक़ खान साहब का बुधवार रात 10.30 बजे लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह लगभग 95 वर्ष के थे. 


उनकी नमाज-ए-जनाजा में ज्यादा लोगों की शिरकत को रोकने के लिए प्रशासन राजधानी को पूरी तरह सील कर दिया है. भास्कर की एक खबर के मुताबिक शहर भर में कई अलग-अलग जगहों भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है. साथ ही बैरिकेड्स लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा लोगों से अपील की जा रही है कि वो अपने घरों में ही रहें. लोगों से कहा जा रहा है कि वो कोरोना की गाइडलाइंस का पर अमल करें. कानून तोड़ने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.



मुफ़्ती साहब अपने पीछे एक भरा पूरा ख़ानदान छोड़ कर गए हैं. पारिवारिक जराए ने बताया कि हजरत कई तरह ने बीमारियों से लड़ते हुए आज रात अंतिम सांस ली. मुफ़्ती साहब के करीबी और जमीयत मध्य प्रदेश के तरजुमान नूरूल्लाह यूसुफ़ जई ने बताया कि मुफ़्ती साहब को सभी मजहब के लोगों में बड़ी इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता था.


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उन्होंने कहा कि रज़्ज़ाक़ साहब देश और प्रदेश की कई संस्थाओं के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। उनकी गिनती देश के बड़े धार्मिक विद्वानों में होती थी।भोपाल ही नहीं बल्कि पुरे मध्यप्रदेश तथा देश के इस्लामिक विद्वान उनकी संस्था को मस्जिद और मदरसा तर्जुमे वाली के नाम से जानते हैं. मुफ़्ती साहब के छोटे बेटे मौलाना मोहम्मद अहमद साहब मदरसे की ज़िम्मेदारी संभालते हैं.


मुफ्ती रज्जाक भोपाल के सबसे बड़े इस्लामी मदरसे के संचालक थे. शहर और प्रदेश की हड़ी दीनी हस्तियों में उनका शुमार किया जाता है. कई बड़े काजी, मुफ्ती और आलिम उनके शागिर्द रहे हैं. मुफ्ती रज्जाक को सियासी, सामाजी, दीनी समेत हर तबके से बराबर इज्ज़त हासिल होती रही है. 


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