कुरान को पहली बार गोजरी भाषा में ट्रांस्लेट करने वाले मौलान फैज उल वहीद का इंतेकाल
अस्पताल में दाखिल होने के बाद से मुफ्ती फैज उल वहीद `मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के साथ जीवन रक्षक प्रणाली` पर थे.
श्रीनगर/फारूक वानी: जम्मू के मशहूर इस्लामिक विद्वान मुफ्ती फैज-उल-वहीद का इंतेकाल हो गया है. कोरोना वायरस के चलते उन्हें आचार्य श्री चंदर कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस (ASCOMS) में दाखिल कराया गया था. इसकी पुष्टि करते हुए चिकित्सा अधीक्षक एएससीओएमएस डॉ राजिंदर रतन पाल ने बताया कि मुफ्ती फैज-उल-वहीद की सुबह साढ़े सात बजे मौत हो गई.
अस्पताल में दाखिल होने के बाद से मुफ्ती फैज उल वहीद 'मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के साथ जीवन रक्षक प्रणाली' पर थे. मुफ्ती के एक सहयोगी ने ज़ी मीडिया को बताया कि मुफ्ती साहेब करीब एक हफ्ता पहले बीमार हुए थे और उन्हें 23 मई को अस्पताल ले जाया गया था.
मुफ्ती के इंतेकाल पर लगभग सभी अदीबों ने रंजो गम का इजहार किया है. वहीं राजनीतिक दलों ने भी मुफ्ती साहेब के जाने पर उन्हें खिराज अकीदत पेश किया. मुफ्ती वहीद पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने पहली बार कुरान को गोजरी भाषा में ट्रांस्लेट किया था.
मुफ्ती फैज-उल-वहीद का जन्म 1966 में राजौरी जिले के दोधासन बाला में हुआ था. वे पवित्र कुरान का गोजरी भाषा में अनुवाद करने वाले पहले इस्लामी विद्वान थे. उन्होंने 'सिराज-उम-मुनीरा', 'अहकाम-ए-मय्यत' और 'नमाज के मसाइल कुरान-ओ-हदीस की रोशनी में' समेत कई किबातें भी लिखी थीं.
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