Bihar: RJD चीफ़ लालू यादव ने पेश की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल; राबड़ी आवास पहुंचा मोहर्रम का जुलूस
Lalu Yadav: मोहर्रम के मौके पर ताजिया जुलूस को राबड़ी आवास में बुलाकर लालू यादव ने धर्मनिरपेक्षता की मिसाल पेश की. इस अवसर पर ताजिया जुलुस को RJD सुप्रीमो लालू यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर बुलाया. जुलूस में काफी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.
Lalu Yadav Called Tajiya Procession At Home: पूरे देश में मोहर्रम की 10 तारीख यानि यौमे आशूरा को अकीदत व एहतेराम के साथ मनाया गया. जगह- जगह शरबत तकसीम किए गए और लोगों ने मातमी जुलूस निकाला. इस अवसर पर शनिवार को बिहार से एक अनोखा नजारा देखने को मिला. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने ताजिया के जुलूस को अपने घर पर बुलाया. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर बड़ी तादाद में लोग ताजिया लेकर पहुंचे. इस दौरान लालू यादव ने खुद आगे आकर सभी अकीदतमंतों का स्वागत किया.
लालू यादव ने पेश की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल
मोहर्रम के मौके पर ताजिया जुलूस को राबड़ी आवास में बुलाकर लालू यादव ने धर्मनिरपेक्षता की मिसाल पेश की. इस अवसर पर ताजिया जुलुस को RJD सुप्रीमो लालू यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर बुलाया. जुलूस में काफी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. इस दौरान लालू यादव भी मोहर्रम को लेकर खास अंदाज में दिखे. उन्होंने काले कपड़े पहने हुए थे. काले रंग की शॉर्ट्स और काले रंग की टी-शर्ट में लालू यादव कुर्सी पर बैठकर ताजिया लेकर पहुंचे लोगों से मिले और मातमी जुलूस में सबके साथ इमाम हुसैन की शहादत को याद किया. वहीं, तेज प्रताप यादव भी जुलूस में शामिल हुए.
जगह-जगह निकाले गए जुलूस
जुलूस में शामिल लोगों ने कहा कि, लालू यादव हमेशा से आपसी सौहार्द को बढ़ावा देते रहे हैं. दरअसल मोहर्रम का महीना इस्लाम धर्म में शोक के महीने के तौर पर मनाया जाता है. इस महीने में मातमी जुलूस निकाले जाते हैं. इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शिया मुस्लिम काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं. इस दिन को कुर्बानी के तौर पर याद किया जाता है. साथ ही इस दिन ताजिया निकाले जाते हैं. मोहर्रम के महीने की 10 तारीख की खास अहमियत होती है, जिसे यौमे आशूरा कहा जाता है. मान्यता है कि इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया गया था. चूंकि 10 मोहर्रम को ही कर्बला की जंग हुई थी और इमाम हुसैन की शहादत भी मोहर्रम की 10 तारीख को हुई थी इसलिए 10 मोहर्रम का खास महत्व है.
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