मुंबई के ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ को मिली आजीवन कारावास; फेक एनकाउंटर से जुड़ा है मामला
Fake Encounter Case: साल 2013 में सत्र अदालत ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया था जबकि दो व्यक्तियों की हिरासत में मौत हो गई थी. आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.
Fake Encounter Case: मुंबई के‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को आज यानी 19 मार्च को एक बड़ा कानूनी झटका लगा है. बंबई हाईकोर्ट ने उन्हें 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ के मामले में दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुना दी. हाईकोर्ट का फैसला सत्र अदालत के पहले के फैसले के बिल्कुल उलट है, जिसने शर्मा को बरी कर दिया था.
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की एक खंडपीठ ने शर्मा को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को "गलत" और "नहीं टिकने लायक" करार देते हुए रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा, "निचली अदालत ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध पर्याप्त सबूतों को नजरअंदाज कर दिया. सबूत मामले में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से साबित करते हैं."
क्या है पूरा मामला
11 नवंबर 2006 को एक पुलिस दल ने गुप्ता उर्फ लखन भैया को पड़ोसी वाशी से इस संदेह पर पकड़ा था कि वह राजन गिरोह का सदस्य है. उसके साथ उसके दोस्त अनिल भेड़ा को भी पकड़ा गया था. गुप्ता को उसी शाम पश्चिम मुंबई के उपनगरीय वर्सोवा में नाना नानी पार्क के पास एक "फर्जी" मुठभेड़ में मार डाला गया था.
व्यवसायी मनसुख हिरानी की हत्या में संलिप्तता
हाईकोर्ट ने कहा कि शर्मा को आपराधिक साजिश, हत्या, अपहरण और गलत तरीके से कैद करने सहित सभी आरोपों में दोषी ठहराया जाता है और आजीवन कारावास की सजा सुनायी जाती है. पीठ ने शर्मा को तीन सप्ताह में संबंधित कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है. शर्मा की कानूनी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती हैं, क्योंकि वह 2021 में जानेमाने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के बाहर जिलेटिन की छड़ की बरामदगी और व्यवसायी मनसुख हिरानी की हत्या से संबंधित एक अलग मामले में भी फंस हुए हैं. इस मामले में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है.
निचली अदालत का फैसाल बरकरार
हाईकोर्ट ने मंगलवार को 13 व्यक्तियों को निचली अदालत के जरिए दोषी ठहराने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाने को भी बरकरार रखा. इसमें 12 पुलिसकर्मी और एक नागरिक शामिल है. दोषी ठहराए गए आरोपियों में पूर्व पुलिसकर्मी नितिन सरतापे, संदीप सरकार, तानाजी देसाई, प्रदीप सूर्यवंशी, रत्नाकर कांबले, विनायक शिंदे, देवीदास सपकाल, अनंत पटाडे, दिलीप पलांडे, पांडुराग कोकम, गणेश हरपुडे, प्रकाश कदम और एक नागरिक हितेश सोलंकी शामिल है.
कोर्ट 6 लोगों की किया बरी
हाईकोर्ट ने छह दूसरे आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया. मनोज मोहन राज, सुनील सोलंकी, मोहम्मद शेख, सुरेश शेट्टी, ए. खान और शैलेन्द्र पांडे को बरी कर दिया गया. ये सभी नागरिक हैं. शुरुआत में तेरह पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर कत्ल का इल्जाम लगाया गया था. सुनवाई के बाद 2013 में सत्र अदालत ने 21 आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
कोर्ट ने सबूतों के अभाव में किया था बरी
हालांकि, साल 2013 में सत्र अदालत ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया था जबकि दो व्यक्तियों की हिरासत में मौत हो गई थी. आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की, वहीं अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की. विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने दलील दी कि मौजूदा मामले में जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे खुद एक निर्मम हत्या में लिप्त थे. मामले में शर्मा को दोषी ठहराने की गुजारिश करने वाली अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या के पूरे अभियान का मुख्य साजिशकर्ता था.