Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल पर विचार करने के लिए बनाई गई समिति सवालों के घेरे में हैं. इस समिति के सदस्य ने समिति पर संगीन इल्जाम लगाए हैं. वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पांच राज्यों के दौरे का किशनगंज के कांग्रेस सांसद और जेपीसी सदस्य डॉ मुहम्मद जावेद आजाद ने बहिष्कार किया है. आज 9 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित जेपीसी की बैठक में कांग्रेस सांसद ने भाग नहीं लिया है. वह आगे भी छह दिनों के अलग अलग राज्यों जैसे भुवनेश्वर, कोलकाता, पटना और लखनऊ में आयोजित बैठकों का भी बहिष्कार करेंगे. 


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मनमानी और जल्दबाजी में हो रहा काम
डॉ मुहम्मद जावेद आज़ाद ने कहा कि इनके साथ-साथ जेपीसी में विपक्षी दलों के दर्जनों सदस्य भी इस बैठकों का बहिष्कार कर रहे हैं. जेपीसी के सदस्य डॉ मुहम्मद जावेद ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले तो पीएम मोदी पर दबाव में आकर जेपीसी का गठन किया. उसमें भी मनमानी और जल्दबाजी से काम कर रहे हैं. कांग्रेस सांसद ने कहा कि जेपीसी की बैठकें हफ्ते में दो दिन नौ घंटे तक चलती हैं. जिसमें आने जाने और रहने में चार दिन चले जाता है. जिससे क्षेत्र में जनता का कार्य बाधित हो रहा है. उन्होंने कहा कि जेपीसी की बैठकों के दौरान ऐसे कई लोगों की गवाही दर्ज कर रहे हैं, जिनकी वक्फ मुद्दे में कोई भूमिका ही नहीं है.


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मनघड़ंत रिपोर्ट बनाने का इल्जाम
उन्होंने कहा कि अतीत में भी जेपीसी की कई बैठकें हुई हैं. सभी मामलों में जल्दबाजी नहीं कि गई थी. बल्कि दो साल और तीन साल तक बैठकें चली थीं. लेकिन वक्फ संशोधन बिल मामले में समिति जल्दबाजी कर मनगढ़ंत रिपोर्ट सौंपने की तैयारी में है. जिससे मुस्लिमों के पुर्वजों की वक्फ की जमीन को पूंजीपतियों और भूमाफियाओं को हाथों में चला जायेगा. सांसद ने बताया कि तीन नवंबर को विपक्षी सांसदों ने अध्यक्ष जगदंबिका पाल की मनमानी के खिलाफ कई शिकायतें करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र भी लिखा था.


क्या है वक्फ संशोधन विधेयक
ख्याल रहे कि केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड बदलाव को लेकर संसद में बिल पेश किया. विपक्षी सांसदों के हंगामे की वजह से इस बिल को पास नहीं किया जा सका. अब बिल को संसदीय समिति के पास भेजा गया है. यह समिति इस पर विचार कर रही है. जल्द ही इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी. दरअसल वक्फ संशोधन बिल में प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम शख्स को भी शामिल किया जाए. इसके अलावा इसमें औरतों को शामिल करने के बात कही गई है. बिल पर मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सरकार इस बिल के जरिए मुसलमानों की मस्जिद, मजारें और कब्रिस्तान छीनना चाहती है.