Nalini Sriharan Daughter in London: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कत्ल कांड के मुजरिमों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिहा करने का हुक्म सुना दिया है. अदालत के इस हुक्म की कापियां जेल के अफसरों को मिल गई हैं, जिसके बाद शनिवार शाम उनको रिहा कर दिया गया है. तकरीबन तीस साल के बाद ये 6 मुजरिम आज जेल से रिहा हुए हैं. इनमें एक नाम नलिनी श्रीहरन का भी शामिल है. उन्हें भी आज जेल से बाहर भेज दिया है. लेकिन अब एक सवाल है कि नलिनी कहा जाएगी?


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लंदन जाएंगी नलिनी?
नलिनी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वो चेन्नई में रह सकती है, इसके अलावा एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नलिनी लंदन में भी जा सकती है. अब आप सोच रहे होंगे कि वो लंदन में क्या करने जाएगी. तो इसका जवाब यह है कि लंदन में नलिनी की बेटी रहती है. समाचार एजेंसी PTI के साथ बातचीत में उसके वकील पी पुगाझेंडी ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि वह इस पर फैसला लेंगी. 


लंदन में डॉक्टर है जेल में जन्म लेने वाली नलिनी की बेटी
नलिनी के भाई भाग्यनाथन और उनकी मां पद्मा को 11 जून 1991 को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया था. उन्होंने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि गिरफ्तारी के वक्त नलिनी ने प्रेग्नेंट थी. उन्होंने 1992 में जेल में एक बच्ची को जन्म दिया. उसका नाम हरिथरा है, यह बेटी अब लंदन में रहती है और पेशे डॉक्टर है. एक जानकारी के मुताबिक साल 2019 में नलिनी की शादी हुई थी. इस शादी के लिए नलिनी को एक महीने के लिए पैरोल दी गई थी.


"मैं आतंकवादी नहीं हूं"
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जब यह फैसला सुनाया तो नलिनी से बात की गई. इस दौरान उन्होंने कहा कि वो आतंकवादी नहीं है. इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि पिछला करीब 30 घंटे मेरे लिए बहुत जिद्दोजहद वाले रहे. मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने इस मुश्किल वक्त मेरा साथ दिया. उन्होंने कहा कि मैं तमिलनाडु के लोगों और वकीलों का शुक्रिया अदा करती हूं. 


क्या था सुप्रीम कोर्ट का हुक्म
याद रहे कि शुक्रवार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने राजीव गांधी कत्ल केस के 6 मुजरिमों को रिहा करने का हुक्म दिया था. अदालत ने यह हुक्म नलिनी श्रीहरन और आर. पी. रविचंद्रन की उस उर्ज़ी पर सुनाया था. जिसमें उन्होंने वक्त से पहले रिहाई की मांग की थी. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसी मामले में अदालत ने एजी. पेरारिवलन को पहले रिहा कर दिया था. उसी रिहाई का हवाला देते हुए अदालत ने अपनी खास ताकत का इस्तेमाल किया और सभी मुजरिमों की रिहाई का हुक्म दे दिया. 


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