Minority Commission On Nuh Violence: नेशनल माइनॉरिटी कमीशन ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले दिनों हरियाणा के नूंह और कुछ दूसरी जगहों पर हुई हिंसा कोई  'संगठित अपराध' की घटना नहीं थीं और इसे इंतेजामिया की नाकामी भी नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसमें प्रशासन की कुछ खामिया जरूर रहीं. कमीशन के चेयरमैन ने कहा कि हिंसा में स्थानीय लोग शामिल नहीं थे और सोशल मीडिया के जरिये फैलाए गए गलत प्रचार में कुछ नौजवान उत्तेजना के शिकार हो गए, जिस पर समाज को ध्यान देने की जरूरत है.


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दुष्प्रचार से बिगड़ी बात: अल्पसंख्यक आयोग
कमीशन के चेयरमैन ने बताया कि पिछले दिनों आयोग की एक टीम ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करके अलग-अलग समुदायों के लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों से बात की. इकबाल सिंह लालपुरा ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि कमीशन की टीम नूंह और सोहना गई थी. टीम ने दोनों समुदायों के लोगों और प्रशासन के अफसरान से बात की. लोगों का कहना है कि हिंसा करने वाले लोग बाहर से आए थे. उन्होंने बताया कि स्थानीय मुसलमानों ने मंदिरों की हिफाजत की तो हिंदुओं ने मस्जिदों की रक्षा की. यह भाईचारा वहां देखने को मिला था. उन्होंने कहा कि यह हिंसा कोई "संगठित अपराध' की घटना नहीं थी, लेकिन सोशल मीडिया के जरिये किए गए दुष्प्रचार से बात बिगड़ गई.



हरियाणा के कई इलाकों में हुआ था हंगामा
इकबाल सिंह लालपुरा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि "मैं  इसे इंतेजामिया की नाकामी नहीं कहूंगा, लेकिन खामिया जरूर थीं. बता दें कि , बीती 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद की शोभायात्रा को रोकने की कोशिश करने के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा में दो होमगार्ड कर्मी समेत छह लोगों की मौत हो गई थी और इसकी आंच हरियाणा के कई इलाकों तक फैल गई थी. दो समुदायों के लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर चलाए. कई गाड़ियों   में तोड़फोड़ की गई जबकि कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था.


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