जब अस्पताल ने खड़े किए हाथ तो फरिश्ता बन कर सामने आया नौशाद, इस तरह बचाई अंकित की जान
बागपत ज़िले के सूप गांव के 28 वर्षीय अंकित को सांस लेने में दिक्कत होने पर निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टर ने कह दिया कि ऑक्सीजन का इंतजाम खुद ही करना होगा.
बागपत: मुल्क भर में कोरोना वबाई मर्ज़ (Coronavirus) के सबब अफरा तफरी मची हुई है. इस मर्ज़ ने पूरे मुल्क को अपनी चपेट में ले लिया है. कोरोना की वजह से मरीज़ों की तादाद में आए दिन इज़ाफ़ा हो रहा है. इससे अस्पतालों का बोझ काफी बढ़ गया है. अस्पतालों में बेड्स, दवाओं औरी ऑक्सीजन को लेकर कोहराम मचा हुआ है. ऑक्सीजन की मकी की वजह से कई मौतें हो चुकी हैं. इसी दरमियान उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले से इंसानी खिदमत की एक शानदार मिसाल सामने आई है.
बागपत ज़िले के सूप गांव के 28 वर्षीय अंकित को सांस लेने में दिक्कत होने पर निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टर ने कह दिया कि ऑक्सीजन का इंतजाम खुद ही करना होगा. अंकित के घर वालों ने ऑक्सीजन के लिए हज़ारों कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें नाकामी ही हाथ लगी, और कहीं उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिला. ये खबर जब किशनपुर बराल के नौशाद को मिली तो उसने अपनी वेल्डिंग मशीन में लगा ऑक्सीजन सिलिंडर उतारकर अंकित के घर वालों को दे दिया. अब बताया जा रहा है कि अंकित की हालत में बेहतरी आई है. नौशाद के इस कदम की काफी चर्चा हो रही है और अंकित के घर वालों ने इसके लिए नौशाद का शुक्रिया अदा किया है.
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गौरतलब है कि किशनपुर के बराल के रहने वाले नौशाद की गांव में ही बैटरी बनाने की दुकान है. पीर के रोज़ सूप गांव के अंकित को अचानक सांस लेने दुक्कत हुई तो घर वालो अंकित को लेकर अस्पताल गए, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं था. इसलिए ज़ाती तौर पर ऑक्सीजन का इंतज़ाम करने को कहा गया. उसके बाद जब अंकित के घर वाले ऑक्सीजन की तलाश में नौशाद के पास पहुंचे तो नौशाद ने अपनी वेल्डिंग मशीन में लगा ऑक्सीजन सिलिंडर उतारकर उन्हें दे दिया। इसके बदले में पैसे लेने से भी इंकार कर दिया.
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इस सिलसिले में नौशाद का कहना है कि उसके पास सिर्फ एक सिलिंडर है. जब वह खाली होता है, तो उसके बदले में भरा हुआ सिलिंडर लाता है. मुश्किल की घड़ी में मदद करना उनका फरीज़ा है. काम तो बाद में भी चलता रहेगा.
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