क्या आप भी नए साल पर नहीं तलाश पाते खुशियां? तो पढ़िए फैज़ साहब की ज़बरदस्त नज़्म
Happy New Year 2023 Poetry: नए साल के मौके पर कुछ लोग खुशियां नहीं मनाते, उन्हें लगता है कि सिर्फ काग़ज़ों पर तारीख बदल जाती है लेकिन जिंदगी वैसी ही रहती है. ऐसे लोगों के लिए फैज़ लुधियानवी ने एक बेहतरीन नज़्म लिखी है. पढ़िए.
New Year Shayary: नया साल दहलीज़ पर खड़ा हुआ है. आज 31 दिसंबर 2022 है, यानी साल का आखिरी दिन. नए साल के मौके पर देश और दुनियाभर में जश्न मनाया जाता है. लोग क्लब, बार, लाउंज में जाकर खूब जश्न नाचते-गाते हैं. इसके अलावा लोगों तोहफे के साथ साथ नए साल की मुबारकबाद भी पेश करते हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग तो नए साल के आग़ाज़ के साथ खुद से कुछ वादे करते हैं. अपने करियर या फिर किसी अन्य चीज का गोल सेट करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो नए साल पर खुश नहीं होते, यानी वो नए साल को पिछले साल की नजर से ही देखते हैं. इसकी कई अलग-अलग वजहें हो सकती हैं.
ऐसे ही लोगों के लिए मशहूर शायर फैज़ लुधियानवी ने एक नज़्म लिखी है. फैज़ साहब ने अपनी इस नज़्म में नए साल से बड़ा ही दिलचस्प सवाल पूछा है. उन्होंने नए साल को उसकी सब पुरानी बातें याद दिलाईं और पूछा,"ऐ नए साल बता तुझमें नया पन क्या है." पढ़िए पूरी नज़्म:
Happy New Year 2023 Poetry: ऐ नए साल बता तुझमें नया पन क्या है, पढ़िए उर्दू के बेहतरीन शेर
ऐ नए साल बता तुझ में नया-पन क्या है
हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यों शोर मचा रखा है
रौशनी दिन की वही तारों भरी रात वही
आज हम को नज़र आती है हर एक बात वही
आसमान बदला है अफ़्सोस ना बदली है ज़मीं
एक हिंदिसे का बदलना कोई जिद्दत तो नहीं
अगले बरसों की तरह होंगे क़रीने तेरे
किसे मालूम नहीं बारह महीने तेरे
जनवरी फ़रवरी मार्च में पड़ेगी सर्दी
और अप्रैल मई जून में हो गी गर्मी
तेरा मन दहर में कुछ खोएगा कुछ पाएगा
अपनी मीआ'द बसर कर के चला जाएगा
तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई
बे-सबब लोग क्यों देते हैं मुबारक-बादें
ग़ालिबन भूल गए वक़्त की कड़वी यादें
तेरी आमद से घटी उम्र जहाँ से सब की
'फ़ैज़' ने लिक्खी है ये नज़्म निराले ढब की
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