New Delhi: सविल सेवा अधिकारियों को सरकार और प्रशासनिका मशीनरी का रीढ़ माना जाता है. लेकिन सरकार ने  राज्यसभा में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पांच साल से अधिक समय में 216 सिविल सेवा अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं.


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राज्यवार ब्यौरा देते हुए सरकार ने कहा, "जिनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं उनमें 39 सिविल सेवा अधिकारी महाराष्ट्र से, 22 जम्मू-कश्मीर से, 21 दिल्ली से, 17 उत्तर प्रदेश से और 14 कर्नाटक से हैं. 


केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा, "पिछले पांच सालों के दौरान सीबीआई ने 216 सिविल सेवा अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं."  उनके मुताबिक मामलों का सामना कर रहे कुल सिविल सेवा अधिकारियों में से 12 बिहार से, 11 तमिलनाडु से, नौ-नौ गुजरात, हरियाणा और केरल से और आठ-आठ पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना से थे. 


कार्मिक मंत्री सिंह ने कहा, "अखिल भारतीय सेवा नियम, 1968 और केंद्रीय सिविल सेवा आचरण नियम, 1964 केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आचार संहिता निर्धारित करते हैं. जिसका सेवा के प्रत्येक सदस्य को हर समय पालन करना होगा."


उन्होंने कहा, "मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और निरंतर फीडबैक को ध्यान में रखते हुए उचित पाठ्यक्रमों के माध्यम से अधिकारी ट्रेनी को प्रशिक्षण प्रदान करता है."


मंत्री ने कहा, "भारत सरकार ने सितंबर 2020 में एक पेशेवर, अच्छी तरह से प्रशिक्षित और भविष्य की ओर देखने वाली सिविल सेवा बनाने के उद्देश्य से सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम  मिशन कर्मयोगी को मंजूरी दी थी. जो भारत की विकासात्मक आकांक्षाओं, राष्ट्रीय कार्यक्रमों और प्राथमिकताओं की साझा समझ से ओत-प्रोत हो."


एक अन्य जवाब में मंत्री ने कहा, सीबीआई ने 2018 से जून 2023 के दौरान विभिन्न सिविल सेवा अधिकारियों के खिलाफ 135 मामले दर्ज किए हैं. इन 135 मामलों में से 57 मामलों में सुनवाई के लिए संबंधित अदालतों में आरोपपत्र दायर किए गए हैं. इनमें से दो मामलों में अभियोजन की मंजूरी दो साल से अधिक समय से लंबित है. पिछले पांच सालों (2018 से 2022) में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने पहले चरण की सलाह के दौरान 12,756 अधिकारियों और दूसरे चरण की सलाह के दौरान 887 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. इनमें से 719 अधिकारियों के संबंध में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने की सलाह दी गई थी." 


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