SC on Buldozer Action: बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा है कि किसी भी शख्स के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जा सकती, चाहे वह मुल्जिम ही क्यों न हो. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कई मामलों में हुई बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई की. हाल ही में देश में कई जगह पर मुस्लिम मुल्जिमों पर बुलडोजर कार्रवाई हुई है. मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमाए-ए-हिंद ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. संगठन ने मांग की है कि कई राज्यों में प्रशासन की तरफ से बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई जाए.


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सु्प्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बी. आर. गवई ने कहा कि "अगर कोई शख्स सिर्फ मुल्जिम है, तो उसका घर कैसे गिराया जा सकता है? अगर वह मुल्जिम है तो भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता है. यहां तक ​​कि एस.सी. बार को यह बताने के बाद भी... हमें रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता." जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि "किसी को भी खामियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए." उन्होंने कहा कि "पिता का बेटा भले ही अड़ियल हो, लेकिन अगर इस आधार पर घर गिरा दिया जाए...तो यह सही तरीका नहीं है." हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया कि वह किसी भी गैर कानूनी ढांचे को संरक्षण नहीं देगा.


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केंद्र सरकार का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें तब कहीं जब सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुलडोजर कार्रवाई पर सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि घर तभी तोड़े जाते हैं जब वह कानून का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने कहा कि "हम तभी कार्रवाई करते हैं जब नगरपालिका कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं."


अगली सुनवाई 17 सितंबर को
जस्टिस विश्नाथन ने आगे कहा कि "पूरे राज्य में गैर कानूनी इमारतों को गिराए जाने के दिशानिर्देश लागू करने की जरूरत है." जस्टिस गवई ने कहा कि "मशवरे दीजिए. हम अखिल भारतीय आधार पर दिशानिर्देश जारी करेंगे." सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 17 सितंबर को सुनवाई होगी.