सिर्फ कश्मीरी पंडित ही नहीं, ये समुदाय भी अपने ही देश में झेल रहा है निर्वासन का दर्द
Bru refugees in Tripura: मिजोरम का आदिवासी ब्रू समुदाय जातीय संघर्षों के बाद अपना राज्य छोड़कर कभी त्रिपुरा आ गया था, जहां वह सालों से शरणार्थी शिवरों में रहने को मजबूर है.
अगरतलाः भारत में कश्मीरी शरणार्थियों के अलावा भी एक समुदाय ऐसा है, जो अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहता है. अपने राज्य से विस्थापित होकर सालों से पड़ोसी राज्यों के राहत शिवरों में रह रहा है, और सरकार के खर्चों पर अपने जीवन का निर्वाह करता है. हम बात कर रहे हैं, ब्रू शरणार्थियों की जो साल 1997 से अपने घर, गांव और राज्य से विस्थापित हो चुका है.
1997 में शुरू हुआ था विवादास्पद ब्रू मुद्दा
गौरतलब है कि बांग्लादेश और त्रिपुरा से सटे पश्चिमी मिजोरम के क्षेत्रों को अलग करके इस समुदाय के लिए एक अलग स्वायत्त जिला परिषद की मांग के साथ सितंबर 1997 में विवादास्पद ब्रू मुद्दा शुरू हुआ था. स्थानीय लोगों के साथ जातीय संघर्ष के कारण बड़ी संख्या में ब्रू समुदाय के लोग मिजोरम से भागकर त्रिपुरा आ गए थे. ये ब्रू शरणार्थी उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर और पानीसागर उपसंभागों में सात राहत शिविरों में रह रहे हैं. केंद्र, त्रिपुरा और मिजोरम की सरकारों ने मिलकर पिछले एक दशक में कई बार उन्हें उनके गृह राज्य में वापस भेजने की कोशिश की लेकिन इस दिशा में सरकारों को सफलता नहीं मिली.
वापस भेजने की सभी कोशिश हुई नाकाम
त्रिपुरा से ब्रू समुदाय के लोगों को वापस भेजने की पहली कोशिश नवंबर 2009 में और आखिरी कोशिश 2019 में की गई थी. कई ब्रू परिवारों ने सुरक्षा चिंताओं और अपर्याप्त पुनर्वास पैकेज का हवाला देते हुए मिजोरम लौटने से इनकार कर दिया था. कुछ ने समुदाय के लिए एक अलग स्वायत्त परिषद की भी मांग की थी. हालाँकि, जनवरी 2020 के समझौते ने इन आदिवासी लोगों को त्रिपुरा में स्थाई रूप से बसने की अनुमति दे दी है.
सरकार उठाती है शरणार्थियों का खर्चा
त्रिपुरा सरकार ने 31 अगस्त तक राज्य के 12 स्थानों पर ब्रू परिवारों का पुनर्वास करने का लक्ष्य तय किया है. पिछले साल जनवरी में ब्रू समुदाय, केंद्र और त्रिपुरा और मिजोरम सरकार के बीच करार होने के बाद से त्रिपुरा सरकार पहले ही 6,959 ब्रू परिवारों के 37,136 सदस्यों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. प्रत्येक ब्रू परिवार को 1,200 वर्ग फुट का प्लॉट आवंटित किया गया है, और घर बनाने के लिए सरकार द्वारा 1.5 लाख रुपये दिए गए हैं. यह समझौता प्रत्येक परिवार के लिए 4 लाख रुपये की सावधि जमा, 5,000 रुपये की मासिक रकम और सभी क्लस्टर गांवों में स्कूलों की स्थापना के अलावा दो साल के लिए मुफ्त मासिक राशन की गारंटी देता है.
एक सितंबर से राहत बंद करने की धमकी
सरकार ने कहा है कि पुनर्वास पैकेज लागू होने जा रहा है, लेकिन मिजोरम से भाग कर आए और त्रिपुरा में राहत शिविरों में रह रहे ब्रू शरणार्थी अगर कहीं और पुनर्वास के लिए राजी नहीं होते हैं, तो वे एक सितंबर से मुफ्त राशन जैसे लाभों से वंचित कर दिए जाएंगे. कंचनपुर के उपसंभाग मजिस्ट्रेट सुभाष आचार्य ने बताया कि हमें आदेश मिला है कि राहत शिविरों में रह रहे ब्रू शरणार्थियों की राहत एक सितंबर से रोक दी जाएगी. ब्रू समुदाय के नेताओं से उन परिवारों के मुखिया से ‘सहमति पत्र’ जमा कराने को कहा गया है, जिनका अबतक पुनर्वास नहीं हुआ है. उस पत्र में वे बताएं कि वे कहां अपना पुनर्वास चाहते हैं.’’
ऐसी ही दिलचस्प खबरों के लिए विजिट करें zeesalaam.in