नई दिल्ली: टी20 वर्ल्ड कप जारी है और इसके साथ सट्टेबाज़ी के मामले भी सामने आ रहे हैं. आए दिन सट्टेबाज़ पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं. बता दें कि देश में सट्टेबाज़ी ग़ैर क़ानूनी (illegal)  है, लेकिन इसके बावजूद क्रिकेट का सीज़न आते ही देश में करोड़ों अरबों का सट्टा लगता है. सट्टेबाज़ी ऑनलाइन हो जाने की वजह से पकड़-धकड़ भी मुश्किल हो गई है. अब कोई भी शख़्स कहीं से भी और कभी भी सट्टा लगा सकता है. जिसकी वजह से देश की इकॉनोमी को काफी नुक़सान हो रहा है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक़ देश में सट्टेबाज़ी का बाज़ार 10 लाख करोड़ के पार कर चुका है. अगर इसका सही तरह से इस्तेमाल किया जाए तो इससे भारत की मईशत (अर्थव्यवस्था) को बहुत मदद मिलेगी.


10 लाख करोड़ का है ग़ैर क़ानूनी सट्टेबाज़ी का बाज़ार


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दोहा के इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट सिक्योरिटी ने साल 2016 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि ग़ैर क़ानूनी सट्टेबाज़ी का कारोबार उस समय 150 बिलियन यानी तक़रीबन 10 लाख करोड़ रु का है. वहीं जस्टिल लोढ़ा कमेटी ने बताया कि भारत का सट्टा बाज़ार तक़रीबन उस समय के 82 बिलियन डालर यानि तक़रीबन  6 लाख करोड़ रुपए का है.


सरकार ने जारी की थी एडवाइज़री


3 अक्तूबर को सरकार ने जारी अपनी एडवाइज़री में बताया गया था कि ऑनलाईन सट्टेबाज़ी के एड दिखाए जाना बंद नहीं हो रहा है. सरकार ने नाम लेकर बताया कि देश के बाहर से सट्टेबाज़ी की एड ब्रॉकास्ट की जा रही है. सरकार ने अलर्ट किया कि अगर इसे न रोका गया तो तो सरकार सज़ा देने की कारवाई भी कर सकती है.


एडवाइ़ज़री में कहा गया कि "सरकार के नोटिस में यह आया था कि टेलीविज़न पर कई स्पोर्ट्स चैनल के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म हाल में ग़ैर मुल्की ऑनलाइन सट्टेबाज़ी प्लेटफॉर्म के साथ-साथ उनकी सेरोगेट न्यूज़ वेबसाइटों के एड दिखा रहे हैं. एडवाइज़री को सबूतों के साथ जारी किया गया, जिसमें फेयरप्ले, परीमैच, बेटवे, वुल्फ 777 और 1xबेट जैसे ऑफशोर सट्टेबाज़ी प्लेटफार्मों के डायरेक्ट और सरोगेट एड शामिल थे. सरोगेट समाचार वेबसाइटों के लोगो सट्टेबाज़ी के प्लेटफॉर्म की तरह हैं".


ग़ैर क़ानूनी सट्टेबाज़ी पर लगाम से इकोनॉमी को मिलेगी मज़बूती


फेडरेशन ऑफ चेम्बर ऑफ कामर्स और इंडस्ट्री (FICCI) ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कुल सट्टा बाज़ार तक़रीबन 41 बिलियन डालर यानि 3 लाख करोड़ रुपयों का बताया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर इस सेक्टर को सही क़ानूनी अमलीजामा पहना कर सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो भारत के लिए अरबों रु का रेवेन्यू बना सकता है.


जस्टिल लोढ़ा कमेटी ने भी इग्लैंड की मिसाल देकर कहा था कि सट्टेबाजी़ को क़ानूनी शक्ल देने से खेल से जुड़ी कई परेशानियां ख़त्म हो जाएगीं.


बढ़ रही है ऑनलाइन बेटिंग


बेहतर और तेज़ इंटरनेट, किफायती स्मार्टफोन और ख़र्च करने की कैपेसिटी बढ़ने से ऑनलाइन सट्टेबाज़ी का बाज़ार बढ़ता जा रहा है. बढ़ते मीडियम क्लास के लोग आसानी से ऑनलाइन सट्टेबाज़ी खेल सकते है. कोई भी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) क्रिकेट मैच के किसी भी इमेजिन किए गए पहलू पर दांव लगा सकता है.इन ऑनलाइन सट्टेबाज़ी पोर्टल पर  सिक्का उछालने के नतीजे से लेकर गेंदबाज़ों के परफ़ॉर्मेंस तक, या किसी बल्लेबाज़ के ज़रिए "सेंचुरी" रन बनाने की उम्मीद पर सट्टा लगाया जा सकता है.


सरकार कस रही है शिंकजा


भारत में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी तेज़ी से रफ़्तार पकड़ रही है. भारत में देश के बाहर से चलने वाले कई ऑनलाइन सट्टेबाज़ी प्लेटफार्म बदस्तूर अपना काम चला रहे हैं. इन पर नकेल कसने के लिए सरकार ने अलग अलग वक़्त पर कई एडवाइज़री भी जारी की है.इसके साथ साथ पिछले कुछ महीनों में ED ने भी इन ऑफशोर ऑनलाइन सट्टेबाज़ी (Offshore Online Betting) चला रही कई कंपनियों पर रेड डाली है.