लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा है कि राज्य में एक भी गोवंशीय पशु को बेसहारा नहीं रहने दिया जाएगा. सरकार उनके पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी निभाएगी. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने एक उच्च स्तरीय बैठक में निराश्रित गोवंश और पशुओं के आश्रय स्थलों के प्रबंधन की समीक्षा के दौरान यह बात कही है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार आवरा गौवंश की देखभाल करने वाले परिवार को हर महीने सीधे उनके बैंक अकाउंट में 900 रुपये भेजें जाएंगे. वहीं, प्रदेश सरकार वृद्धा पेंशन के तौर पर हर माह 800 रुपये देती हैं, जिसमें 200 केंद्र की रकम मिलाने के बाद ये रकम 1000 रुपये प्रति माह होती है. 
सरकार ने यह भी कहा है कि अंत्येष्टि स्थल/श्मशान घाट पर उपयोग की जाने वाली कुल जलावन में 50 फीसदी गाय के गोबर से बने उपलों का इस्तेमाल किया जाए. ये उपले निराश्रित गोवंश स्थलों से ही लिए जाएंगे.   

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इन नौ जिले में रहेगा सरकार का फोकस 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "संभल, मथुरा, मिर्जापुर, शाहजहांपुर, संतकबीरनगर, अमरोहा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और फर्रुखाबाद में सबसे ज्यादा तादाद में इन पशुओं को संरक्षित किया गया है.’’ उन्होंने कहा कि सिलसिलेवार तरीके से सभी जिलों में इसी तरह निराश्रित गोवंशीय जानवरों का बेहतर प्रबंधन किया जाएगा. सरकार ने कहा है कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने निराश्रित गोवंशीय पशुओं के चारे-भूसे के लिए भी जरूरी इंतजाम किए हैं. 


अब तक 1.23 लाख पशु संरक्षित 
गौरतलब है कि इस वक्त प्रदेश में संचालित 6719 निराश्रित गोवंश संरक्षण स्थलों में 11 लाख 33 हजार से ज्यादा गोवंशीय जानवर रखे गए हैं. योगी ने कहा कि इसके अलावा इसी साल 20 जनवरी से 31 मार्च तक संचालित खास मुहिम के तहत 1.23 लाख ऐसे पशु संरक्षित किए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री ने सभी निराश्रित गोवंश स्थलों को चारा-भूसा और अन्य चीजों पर खर्च के लिए दी जाने वाली धनराशि सीधे गो-आश्रय स्थलों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. 

900 रुपए प्रतिमाह को कम बता रहे हैं पशुपालक 
मुख्यमंत्री ने कहा है 900 रुपए प्रतिमाह प्रति पशु की राशि हर महीने सीधे उनके पालकों के खाते में भेजी जाएगी, जिसपर कई लोगों ने सवाल उठाएं हैं. किसान इस रकम को बेहद कम बता रहे हैं. किसानों का मानना है कि एक गाय महीने में कम से कम दो से तीन हजार रूपये का घास खाती है. गोरखपुर के किसान इंद्रजीत यादव कहते हैं, 900 रूपये में तो गाय का 10 दिन का भी खाना नहीं आएगा. ऐसे में कोई किसान 900 रुपये लेकर आवारा पशुओं की देखभाल कैसे करेगा?

1000 रुपये में महीने भर कैसे भरेगा इंसान का पेट 
कुछ लोग इस बात की भी आलोचना कर रहे हैं कि सरकार ने गौवंश को इंसानों से भी ज्यादा महत्व दिया है. प्रदेश सरकार वृद्धा पेंशन के तौर पर हर माह 800 रुपये देती हैं, जबकि गायों के नाम पर 900 रुपये की घोषणा कर रही है. क्या इंसान और गायों की जरूरतें बराबर है. गाय तो मैदान में चरकर भी अपना पेट भर सकती हैं, लेकिन क्या कोई इंसान राज्य सरकार और केंद्र की रकम मिलाकर मिलने वाली लगभग 1000 रुपये की रकम से महीने भर अपना पट भर सकता है ? 


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