जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला की तलाक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने की खारिज
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपनी अलग रह रही पत्नी पायल अब्दुल्ला पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक के लिए अर्जी दाखिल की थी, जिसे आज दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार, 12 दिसंबर, 2023 को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की अपनी अलग पत्नी से तलाक की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई योग्यता नहीं है. न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और विकास महाजन की खंडपीठ ने उमर अब्दुल्ला द्वारा 30 अगस्त, 2016 को पारित पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें तलाक के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. आपको बता दें उमर अब्दुल्ला और उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला की शादी 01 सितंबर 1994 को हुई थी और वे वर्ष 2009 से अलग रह रहे हैं.
क्या बोली हाई कोर्ट?
उमर अब्दुल्ला को तलाक देने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि उसे पारिवारिक अदालत के आदेश में कोई खामी नहीं मिली जिसने उन्हें तलाक देने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के आदेश से सहमती जताते हुए कहा कि उमर अब्दुल्ला द्वारा पायल अब्दुल्ला के खिलाफ क्रूरता के आरोप अस्पष्ट थे और इतना ही नही उमर अब्दुल्ला चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक पायल अब्दुल्ला द्वारा क्रूरता के किसी भी कृत्य को साबित करने में असफ़ल रहे हैं.
अब्दुल्ला ने अपनी पत्नी पायल अब्दुल्ला से इस आधार पर तलाक मांगा है कि पायल ने उनके साथ क्रूरता की है जिस पर हाई कोर्ट पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा "हमें पारिवारिक अदालत के इस विचार में कोई खामी नहीं मिली कि क्रूरता के आरोप अस्पष्ट और अस्वीकार्य थे, कि अपीलकर्ता किसी भी कार्य को साबित करने में विफल रहा जिसे क्रूरता का कार्य कहा जा सकता है, चाहे वह उसके प्रति शारीरिक या मानसिक हो.
आपको बता दें कि इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता को आदेश दिया था कि वह अंतरिम भरण-पोषण के रूप में पायल को हर महीने ₹1.5 लाख का भुगतान करें. इसके साथ साथ अपने दोनों बेटों की शिक्षा के लिए हर महीने ₹60,000 का भुगतान करने का भी आदेश अब्दुल्लाह को दिया गया था.
अदालत का यह आदेश पायल और उनके बेटों की 2018 की निचली अदालत के आदेशों के खिलाफ याचिकाओं पर आया, जिसमें लड़कों के बड़े होने तक क्रमशः ₹75,000 और ₹25,000 का अंतरिम गुजारा भत्ता दिया गया था. इसे में उमर अब्दुल्ला ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह भी कहा था कि वे बच्चों के पालन -पोषण का अपना कर्तव्य निभा रहे हैं मगर फिर भी उनकी पत्नी लगातार अपनी वास्तविक वित्तीय स्थिति को गलत बता रही हैं.
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