गरीबों और साथियों को इफ्तार कराने का है बड़ा सवाब; पढ़ लें ये हदीस
Ramazan 2024: रमजान में अपने दोस्तों-साथियों को इफ्तार कराने का बड़ा सवाब है. रोजा इफ्तार कराने वाले के सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं.
Ramazan 2024: शाम को सूरज डूबने के बाद जब मुसलमान कुछ खाते-पीते हैं उसे उसे रोजा खोलना या इफ्तार करना कहते हैं. सूरज डूबने के फौरन बाद इफ्तार करना ठीक माना जाता है. अगर अंधेरे का इंतजार किया जाए या फिर नमाज के बाद इफ्तार किया जाए तो रोजा मकरूह हो जाएगा. रोजा खोलने में जल्दी करना चाहिए.
इन चीजों से खोलें रोजा
हैदराबाद मौलाना मुजम्मिल सिद्दीकी बताते हैं कि खजूर या छुहारे से इफ्तार करना सुन्नत करना है. इसकी वजह यह है कि प्रोफेट मोहम्मद स0 खजूर से रोजा इफ्तार किया करते थे. अगर खजूर नहीं हो तो पानी से इफ्तार करना चाहिए. इससे जिस्म में तरावट आती है. हदीस में जिक्र है कि जिसने पानी से इफ्तार किया उसे 10 नेकियां मिलेंगी. इसके पीछे वजह बताई जाती है कि पानी गरीबों को भी आसानी से मिलता है. हलाल चीजों से रोजा इफ्तार करना चाहिए.
किसके साथ रोजा इफ्तार करें?
अल्लाह के रसूल स. फरमाते हैं कि रोजा हमेशा अपने परिवार यानी बीवी, बच्चे, भाई, बहन के साथ खोलना चाहिए. परिवार के साथ इफ्तार करने वालों को अल्लाह ताला हर लुकमे के बदले एक गुलाम आजाद करने का सवाब देता है. रोजा इफ्तार करते वक्त अगर आपके यहां कोई आ जाए तो उसे भी इफ्तार कराएं.
इफ्तार कराने का सावब
मौलाना मुजम्मिल बताते हैं कि किसी को रोजा इफ्तार कराना सवाब है. हदीस में आता है कि अगर कोई शख्स किसी रोजेदार को इफ्तार कराएगा, उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे. अगर कोई शख्स किसी के साथ इफ्तार में शामिल होता है, तो उसे भी इतना ही सवाब मिलता है. एक हदीस में आता है कि "जिस शख्स ने किसी रोजेदार को भरपेट खाना खिलाया, अल्लाह पाक कयामत के दिन उसे ऐसा शरबत पिलाएगा कि उसे कभी प्यास नहीं लगेगी."
इफ्तार कराने पर हदीस
एक सहाबी ने प्रोफेट मोहम्मद स0 से पूछा कि "या रसूलल्लाह! अगर किसी शख्स के पास इतना माल या खाना न हो जिससे वह किसी को अच्छे से रोजा न इफ्तार करवा सके उस सूरत में क्या वह भी उतने ही सवाब का हकदार होगा? आप स0 ने फरमाया यह सवाब तो उसे भी मिलेगा जिसने एक घूंट पानी या दूध से किसी को रोजा इफ्तार करवाया हो."