नई दिल्लीः पाकिस्तान आर्थिक और सियासी मोर्चों के साथ ही देश में कानून-व्यवस्था लागू करने में पूरी तरह विफल हो रहा है. देश में न तो हिंदू अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और न ही वहां के मुसलमान अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं. हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ ही शिया, अहमदिया मुसलमानों और सिख समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.हाल में देश हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण को लेकर पाकिस्तान दुनियाभर में आलोचना का शिकार हो रहा है. वहीं, शिया और अहमदिया मुसलमानों पर भी लगातार हो रहे हमले से देश के नागरिक और सिविल सोसाईटी के लोग चिंतित नजर आ रहे हैं. यहां तक कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अभी दो दिन की यात्रा पर भारत आए हुए हैं. वह  शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए गोवा में हैं, लेकिन उन्हें यहां भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर भारी विरोध और आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है. 


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जबरन धर्मांतरण को रोकने की मांग 
पाकिस्तान में न सिर्फ हिंदू, ईसाई और सिख बल्कि शिया और अहमदिया भी लगातार दमन का सामना कर रहे हैं. 26 अप्रैल को, अल्पसंख्यक समुदायों के लोग बड़ी संख्या में लाहौर प्रेस क्लब के बाहर ईशनिंदा के आरोपों के बढ़ते झूठे मामलों और नाबालिग लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के विरोध में एकत्रित हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने सरकार से ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाने की मांग की है. अल्पसंख्यक नेताओं ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में हिंदू मंदिरों और गिरिजाघरों को जलाया जा रहा है और ईशनिंदा के झूठे आरोपों में लोगों की हत्या की जा रही है.


अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए शर्मिंदा
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में सात शिक्षकों की हत्या के बाद देश में अल्पसंख्यक शियाओं की रक्षा नहीं करने के लिए पाकिस्तान शर्मिंदा है. एक राजनीतिक कार्यकर्ता सज्जाद कारगिली ने ट्वीट किया, “शियाओं को निशाना बनाकर मारना कोई नई बात नहीं है. आतंकवादी आज़ाद घूम रहे हैं और पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियां समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही हैं. शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए, मैं इस क्रूर हमले की कड़ी निंदा करता हूं."


साजिद यूसुफ शाह, एक लेखक और कार्यकर्ता ने कहा, “पाकिस्तान में शिया शिक्षकों की भयानक हत्या वास्तव में विनाशकारी दृश्य है. यह देखना निराशाजनक है कि पाकिस्तानी राज्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और न्याय प्रदान करने में लगातार नाकाम रहा है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इस मामले में कार्रवाई करें. आइए इस तरह की मूर्खतापूर्ण हिंसा की निंदा करें और मानवाधिकारों के लिए खड़े हों." 


आदिवासी जिले में बहुसंख्यक शिया आबादी है, जिनपर स्थानीय तालिबान आंदोलन के सुन्नी आतंकवादी समूहों द्वारा अक्सर हमला किया जाता है. सुन्नी उग्रवादी शियाओं को विधर्मी मानते हैं. 
गिलगित बाल्टिस्तान के एक राजनीतिक कार्यकर्ता सेंग सेरिंग ने इस घटना की निंदा की और ट्वीट किया, “मेहदी हसन पाकिस्तान के कुर्रम जिले में कल मारे गए आठ शिया शिक्षकों में से एक था. उसके बच्चों का जीवन कभी भी पहले जैसा नहीं होगा."  


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