कोलकाताः शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल कैबिनेट के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता पार्थ चटर्जी ने अब पूछताछ में अपना मुंह खोलना शुरू कर दिया है. उन्होंने जांचकर्ताओं से कहा है कि पार्टी में शीर्ष नेतृत्व सहित सभी को स्कूल शिक्षक भर्ती में अयोग्य उम्मीदवारों से लिए गए धन के बारे में जानकारी थी. एक जांचकर्ता के कहा है कि पार्थ चटर्जी ने मंत्री पद गंवाने और पार्टी से निलंबित होने के बाद अब घोटाले में शामिल पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है.

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मेरा काम सिर्फ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना होता थाः पार्थ 
एक अफसर ने बताया कि पार्थ ने दावा किया है कि वह सिर्फ इस धन के संरक्षक की भूमिका में थे. उन्होंने कभी कोई पैसा नहीं मांगा और न ही उम्मीदवारों से सीधे तौर पर खुद के लिए कुछ स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि यह एक पार्टी डिक्टेट थी और वह सिर्फ आदेशों का पालन कर रहे थे. उन्हें सिर्फ दूसरों द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना होता था. पैसा कोई और लेता था और उन्हें भेज देता था. उन्हें सिर्फ पैसे सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया था. बाद में ’पार्टी’ के इस्तेमाल के लिए सैकड़ों करोड़ ले लिए गए थे. रकम का सिर्फ एक अंश जब्त किया गया है.’’ 
"इस बीच दूसरे नेता अपने घरों की सफाई कर रहे थे’’ 
अफसर ने कहा कि पार्थ चटर्जी का दावा है कि पार्टी ने अन्य विभागों में भी नौकरियां बेचकर खूब पैसा कमाया है. यह संस्कृति पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले से चल रही है. लोगों को कथित तौर पर पैसे देकर रेलवे की नौकरी दी गई. माजेरहाट में एक कार्यालय तय था, जहां ये सौदे होते थे. पार्थ चटर्जी का दावा है कि पार्टी को उनकी किस्मत के बारे में फैसले लेने में इतना वक्त लगा, क्योंकि इस बीच दूसरे नेता अपने घरों की सफाई कर रहे थे. सभी ने अपने-अपने हाथ धो लिए और खुद के बचाव के लिए पार्थ को छोड़ दिया गया. पार्थ चटर्जी ने दावा किया है कि कई दूसरे शीर्ष नेताओं ने भी अर्पिता मुखर्जी के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों को छोड़ दिया. हालांकि, ईडी ने कहा है कि ये सिर्फ आरोप हैं जिन्हें अदालत के समक्ष साबित करना होगा.


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