Waqf News: वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट तैयार हो गई है और जेपीसी चीफ और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को रिपोर्ट सौंप दी है. अब इसे लेकर देशभर में सियासत जारी है.  पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने वक्फ अधिनियम में संशोधन देश के मुसलमानों पर हमला बताया है. PDP नेता वहीद पारा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन देश के मुसलमानों पर हमला है, जो अल्पसंख्यक समुदाय को और हाशिए पर धकेल सकता है. 


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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से विधायक पारा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि भारत में मुसलमान पहले से ही सबसे हाशिए पर पड़े समुदायों में से हैं. उन्होंने इल्जाम लगाया कि मुसलमानों को सड़कों पर पीट-पीटकर मार दिया जाता है, उनके घरों और व्यवसायों को ध्वस्त कर दिया जाता है और उनके नेताओं को जेल भेज दिया जाता है.


पारा ने कहा, ‘‘अब, वक्फ अधिनियम में भाजपा के नये संशोधन इस निरंतर हमले में एक और कदम का संकेत देते हैं, इस बार मुस्लिम धार्मिक एवं धर्मार्थ संस्थानों की नींव को निशाना बनाया गया है. सुधार की परिभाषा के तहत, ये बदलाव वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश है, जिससे मुसलमानों को हाशिए पर धकेला जा सके और उनकी संपत्तियों पर सरकार की पकड़ मजबूत हो सके.’’


आर्टिक 370 का नहीं भूले हैं जख्म- कश्मीरी नेता
उन्होंने कहा कि ये संशोधन जम्मू-कश्मीर के लिए नुकसानदायक होंगे. यह हमला जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से नुकसानदायक है, जहां अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने और राज्य के विभाजन के घाव अभी भी ताजा हैं.कश्मीर के मुस्लिम नेतृत्व ने जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया है कि समुदाय इन संशोधनों को पूरी तरह से खारिज करता है. फिर भी, उनकी चिंताओं की अनदेखी की गई, जिससे पता चलता है कि लोकतांत्रिक ढंग से आम सहमति बनाने को लेकर भाजपा गंभीर नहीं है.’’


मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है- पीडीपी नेता
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा मस्जिदों, कब्रिस्तानों, मदरसों और अन्य धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा को खत्म करना चाहती है, नौकरशाहों को ऐसी किसी भी संपत्ति को गैर-वक्फ घोषित करने और उन्हें जबरन अधिग्रहण के लिए उपलब्ध कराने की अनुमति देना चाहती है.’’ पारा ने कहा कि सरकार एक साथ मुस्लिम समुदाय से उसके संस्थानों पर नियंत्रण छीन रही है. 


बीजेपी सरकार पर हमला
उन्होंने कहा, ‘‘इस विधेयक के जरिये वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किये जाने का रास्ता प्रशस्त होता है और निर्णय लेने की शक्ति को स्वतंत्र प्राधिकारियों से राज्य द्वारा नियुक्त नौकरशाहों को सौंपता है, जिससे पूर्ण राजनीतिक नियंत्रण सुनिश्चित होता है. हिंदू धार्मिक ट्रस्ट, सिख गुरुद्वारा समितियां और ईसाई संस्थाएं बिना किसी हस्तक्षेप के काम कर रही हैं. अकेले वक्फ को निशाना बनाना मुस्लिम स्व-शासन को कमजोर करने की भाजपा की एक और योजना के अलावा और कुछ नहीं है.’’ पारा ने कहा कि इस विधेयक का पारदर्शिता या दक्षता से कोई सरोकार नहीं है.