Delimitation Commission: सरकार के एक फैसले को चुनौती दे रही याचिका को सुप्रीम ने खारिज कर दिया है. आपको बता दें केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया था. इसी को चुनौती देते हिए ये याचिका दायर की गई थी. जस्टिस एस के कौल और ए एस ओका की एकप पीठ ने दो कश्मीरी के जरिए दायर की गई याचिका पर फैसला सुनाया है और इसे खारिज कर दिया. आखिर ये पूर मामला क्या है आइये जानते हैं.


क्या है पूरा मामला?


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आपको जानकारी के लिए बता दें सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनगर के हाजी अब्दुल गनी खान और डॉक्टर मोहम्मद अय्यूब खान के जरिए दायर की गई याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. इसमें यूटी में सीटों की तादाद को 107 से बढ़ाकर 114 करने को लेकर चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने इस याचिका में कहा था सरकार का ये फैसला संविधान के अनुच्छेद की याचिका 81, 82, 170, 330 और 332 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 63 के खिलाफ है.


आर्टिकल 370 हटाने के बाद सरकार ने किया परिसीमन


आपको जानकारी के लिए बता दें 2019 में सरकार ने आर्टिकल 370 (Article 370) को निरस्त कर दिया था. जिसके बाद जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) के राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में बाट दिया था. सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों को फिर से प्रभाषित करने के परिसीमन (Jammu Kashmir Delimitation) आयोग बनाया. जिसके बाद से कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं. कई लोगों का आरोप है कि सरकार अपने सहूलियत के हिसाब से इस क्षेत्रों को बांट सकती है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सरकार का ऐसा करना संविधान के खिलाफ है. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया है.