नई दिल्लीः ईंधन की मांग में अचानक आए उछाल की वजह से मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में कुछ पेट्रोल पंप तेल की कमी का सामना कर रहे हैं. इसकी खास वजह है कि निजी क्षेत्र के पेट्रोल पंपों ने अपने घाटे को कम करने के लिए परिचालन घटाया है. हालांकि सरकार ने कहा है कि ईंधन की ज्यादा मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति अभी काफी है, लेकिन सरकारी पेट्रोल पंपों पर भीड़ ने ग्राहकों के इंतजार के वक्फे को बढ़ा दिया है.

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निजी कंपनियां पेट्रोल पर 14-18 रुपये प्रति लीटर उठा रही घाटा 
इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) जैसी सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों ने कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई हैं. उन्हें पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 20 से 25 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा हैं. इतना घाटा उठाना जो नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शैल जैसे निजी खुदरा विक्रेताओं की क्षमता से बाहर है.

सरकारी पंपों पर बढ़ी ईंधन की बिक्री 
निजी खुदरा विक्रेताओं के उपभोक्ताओं के सरकारी पेट्रोल पंपों पर रुख करने की वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश में एचपीसीएल और बीपीसीएल के कुछ पेट्रोल पंपों पर तेल खत्म हो गया है. एचईपीसीएल ने एक ट्वीट में बताया कि राजस्थान के उसके पेट्रोल पंपों पर मई के दौरान पेट्रोल और डीजल बिक्री इससे पिछले महीने की तुलना में क्रमशः 41 और 32 प्रतिशत बढ़ गई है. वहीं निजी कंपनियों की बिक्री में गिरावट आई है. बीपीसीएल ने भी इन राज्यों में अपने पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल और डीजल की बिक्री में इजाफा दर्ज किया गया है. 


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