Rahat Indori Poetry: राहत इंदौरी (Rahat Indori) साहब उर्दू के मशहूर शायर थे. राहत इंदौरी अपने बेबाक अदांज़ और बेहतरीन शायरी के लिए पूरी दुनिया जाने जाते रहे हैं. वो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी अदबी दुनिया के लिए एक मिसाल रहे हैं.


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दोस्ती जब किसी से की जाए 
दुश्मनों की भी राय ली जाए 


नए किरदार आते जा रहे हैं 
मगर नाटक पुराना चल रहा है 


घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया 
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है 


सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे 
जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे 


तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा 
मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा 


रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है 
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है 


अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है 
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते 


शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम 
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे 


हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते 


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ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो 


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो 


वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा 
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया 


मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे 
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले 


उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो 
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है 


मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता 
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी 


हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं 
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं 


मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना 
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना