Budget 2023: बजट 2023 पेश किया जा चुका है. निर्मला सीतारण ने 5वीं बार नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां बजट पेश किया है. बजट को लेकर कहा जा रहा है कि मिडिल क्लास को काफी राहत मिली है. खैर हम राहत-मुश्किल से बाहर एक अलग मुद्दे पर बात करने जा रहे हैं. आपने अगर इससे पहले भी बजट भाषण सुना है तो फिर वित्त मंत्री को शेर पढ़ते हुए भी देखा होगा. कई बार वित्त मंत्रियों ने शेरो-शायरी के साथ बजट का आगाज किया है लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला. 


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निर्मला सीतारमण:
हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के बजट के दौरान शायरी पढ़ी थी. कोरोना की महामारी के बीच पेश किए गए 2021 के बजट में उम्मीद जगाने वाली कुछ पंक्तियां पढ़ी थीं. उन्होंने कहा था, "विश्वास वह चिड़िया है जो तब रोशनी का एहसास करती है और गीत गुनगुनाती है जब सुबह से पहले रात का अंधेरा छट रहा होता है." यह महान कवि और लेखक रवींद्र नाथ टैगोर की कविता से लिया गया है. 


अरुण जेटली:
निर्मला सीतारमण से पहले दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी साल 2017 के बजट भाषण में शायरी पढ़ी थी. उन्होंने कहा था, "कश्ती चलाने वालों ने जब हारकर दी पतवार हमें, लहर- लहर तूफान मिले और मौज-मौज मझदार मुझे."


पी चिदंबरम:
UPA सरकार के दौरान साल 2007 में बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट भाषण के दौरान शायराना अंदाज़ में कहा था, "ज्यादा अनुदान, संवेदना, सही शासन और कमजोर वर्ग के लोगों को राहत ही गुड गवर्नेंस की पहचान हैं."


यशवंत सिन्हा:
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 2001 में बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने भाषण के दौरान कहा था,"तकाजा है वक्त का कि तूफान से जूझो, कहां तक चलोगे किनारे-किनारे"


मनमोहन सिंह:
साल 1991 में कांग्रेस की सरकार के दौरान बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री मनमोहन सिंह भी शायराना अंदाज़ के लिए खासे पहचाने जाते हैं. उन्होंने अल्लामा इकबाल की शायरी पढ़ते हुए कहा था,"यूनान, मिस्र, रोम सब मिट गए जहां से, अब तक मगर हैं बाकी, नामो निशां हमारा, कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा.


बता दें कि अल्लामा इकबाल पाकिस्तान शायर हैं. हालांकि उनकी शुरुआती शायरी हिंदुस्तान की खूबसूरती से भरी पड़ी है. 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा' भी अल्लामा इकबाल ने ही लिखा था. अल्लामा इकबाल की बहुत सी रचनाएं काफी विवादों में रही हैं. उन्होंने 'राम' नाम से एक नज्म लिखी थी जिस पर हिंदूवादी नेताओं ने नाराज़गी का इज़हार किया था. क्योंकि उन्होंने अपनी इस नज्म में भगवान राम को 'इमाम-ए-हिंद' कह कर संबोधित किया था. पढ़िए अल्लामा इकबाल का वो शेर


है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़ 
अहल-ए-नज़र समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद 


ZEE SALAAM