Poetry on Face: चेहरा इंसान की जिंदगी की किताब है. इंसान की जिंदगी में क्या चल रहा है उसका अंदाजा लगभग चेहरा देख कर लगाया जा सकता है. चेहरा देख कर अक्सर लोगों को मोहब्बत हो जाया करती है. चेहरे को अक्सर शायरों ने अपनी शायरी का मौजूं बनाया है. यहां हम पेश कर रहे हैं चेहरे पर कुछ चुनिंदा शेर. 


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वो चेहरा किताबी रहा सामने 
बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई 
-बशीर बद्र
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वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में 
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता 
-निदा फ़ाज़ली
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तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है 
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है 
-कैफ़ भोपाली
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उस एक चेहरे में आबाद थे कई चेहरे 
उस एक शख़्स में किस किस को देखता था मैं 
-सलीम अहमद
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किताब खोल के देखूँ तो आँख रोती है 
वरक़ वरक़ तिरा चेहरा दिखाई देता है 
-अहमद अक़ील रूबी
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जिसे पढ़ते तो याद आता था तेरा फूल सा चेहरा 
हमारी सब किताबों में इक ऐसा बाब रहता था 
-असअ'द बदायुनी
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शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ 
आँखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ 
-बशीर बद्र
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कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद 
आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं 
-शकेब जलाली
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रहता था सामने तिरा चेहरा खुला हुआ 
पढ़ता था मैं किताब यही हर क्लास में 
-शकेब जलाली
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इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी 
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया 
-अहमद मुश्ताक़
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अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत 
नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत 
-हैदर अली आतिश
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तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत 
हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं 
-इमाम बख़्श नासिख़
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क्या सितम है कि अब तिरी सूरत 
ग़ौर करने पे याद आती है 
-जौन एलिया
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