Poetry on Gift: तोहफा देने से मोहब्बत बढ़ती है. चाहे आशिक माशूक के दरमियान मोहब्बत का मामला हो या फिर रिश्तों को मजबूत करने का, इसमें तोहफे अहम किरदार अदा करते हैं. जब हम किसी को तोहफा देते हैं तो वह शख्स हमारे जाने के बाद भी उस तोहफे को याद रखता है. तोहफा वह चीज है जो आप अपने खास को अपनी खुशी से देते हैं. उर्दू और हिंदी के कई बड़े शायरों ने तोहफे को अपनी शायरी का मौजूं बनाया है. आज हम पेश कर रहे हैं तोहफे पर बेहतरीन शेर.


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चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना 
हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे 
-अता तुराब
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मैं तोहफ़ा ले के आया हूँ तमन्नाओं के फूलों का 
लुटाने को बहार-ए-ज़िंदगानी ले के आया हूँ 
-सूफ़ी तबस्सुम
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हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैं 
इक दूजे को वक़्त नहीं दे पाते हैं 
-फरीहा नक़वी
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मैं ने भेजी थी गुलाबों की बशारत उस को 
तोहफ़तन उस ने भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा भेजी है 
-हामिद सरोश
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कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को 
मगर जो काम यहाँ फूल से निकलता है 
-राना आमिर लियाक़त
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आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे 
तितलियाँ मंडला रही हैं काँच के गुल-दान पर 
-शकेब जलाली
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और कुछ तोहफ़ा न था जो लाते हम तेरे नियाज़ 
एक दो आँसू थे आँखों में सो भर लाएँ हैं हम 
-मीर हसन


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तोहफ़ा इक कमसिन के लिए है 
इन कलियों का रंग हो हल्का 
-हबीब ख़ान
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नज़राना तेरे हुस्न को क्या दें कि अपने पास
ले दे के एक दिल है सो टूटा हुआ सा है
-शहरयार
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ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी
ये नज़राना तेरा भी है मेरा भी
-शाहिद कबीर
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अब इस के तसव्वुर से भी झुकने लगीं आँखें
नज़राना दिया है जिसे मैं ने दिल ओ जाँ का
-अहमद राही
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