International Friendship Day: दोस्ती ऐसा रिश्ता है जो खून का रिश्ता न होते हुए भी बहुत बड़ा रिश्ता होता है. दोस्त ही हैं जिनसे हम वह बातें कह सकते हैं जो अपनों से नहीं कह सकते हैं. कुछ लोग दोस्तों को पा कर अपने आपको खुशकिस्मत समझते हैं. तो कुछ लोग दोस्तों से धोखा खा कर दोस्ती पर ऐतबार नहीं करते. इसी तरह के खट्टे-मीठे तजुर्बों को शायर ने लफ्जों में पिरोया है. आज हम पेश कर रहे हैं दोस्ती पर कुछ बहेतरीन शेर.


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दोस्ती जब किसी से की जाए 
दुश्मनों की भी राय ली जाए 
-राहत इंदौरी
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लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी 
हम तिरी दोस्ती से डरते हैं 
-हबीब जालिब
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हटाए थे जो राह से दोस्तों की 
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं 
-ख़ुमार बाराबंकवी
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दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है 
दोस्तों ने भी क्या कमी की है 
-हबीब जालिब
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दुश्मनों से प्यार होता जाएगा 
दोस्तों को आज़माते जाइए 
-ख़ुमार बाराबंकवी
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दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए 
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं 
-इस्माइल मेरठी
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दोस्ती को बुरा समझते हैं 
क्या समझ है वो क्या समझते हैं 
-नूह नारवी
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हम को यारों ने याद भी न रखा 
'जौन' यारों के यार थे हम तो 
-जौन एलिया
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तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को 
दोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए 
-संतोष खिरवड़कर
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जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ 
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो 
-लाला माधव राम जौहर
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तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले 
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले 
-कैफ़ भोपाली
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मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला 
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला 
-बशीर बद्र
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अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर 
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए 
-अहमद फ़राज़
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दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त 
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से 
-हफ़ीज़ होशियारपुरी
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