Story of Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू ने 15वें राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में जीत हासिल की है. वह आज यानी 25 जुलाई को अपने पद और गोपनीयता की शपथ लेने वाली हैं. वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं. द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की जीत पर आदिवासी तबके में खुशी की लहर है. आज हम बताएंगे कि द्रौपदी मुर्मू राजनीति में क्यों नहीं आना चाहती थीं.


राजनीति में नहीं आना चाहती थीं द्रौपदी मुर्मू


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देश की प्रथम नागरिक बनने वाली द्रौपदी मुर्मू कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं. यहां तक कि उनके पति ने भी कहा था कि राजनीति उनके बस की बात नहीं है. लेकिन द्रौपदी मुर्मू के करीबी रविंद्रनाथ महतो ने उन्हें पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए मना लिया. इसके बाद उनके पति श्याम चरण मुर्मू भी उन्हें राजनीत में कदम रखने की इजाजत दे दी.


कौन हैं रविंद्रनाथ महतो?


रविंद्रनाथ महतो ओडिशा के मयूरभंज जिले के BJP अध्यक्ष थे. वह वकील भी थे. वह मुर्मू को रायरंगपुर के वार्ड-2 के काउंसलर पद का चुनाव लड़ाना चाहते थे क्योंकि यह सीट एसटी के लिए आरक्षित थी. यह बात साल 1997 की है.


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द्रौपदी मुर्मू के पति ने क्या कहा था? 


रविंद्रनाथ महतो के बेटे बिकास महतो ने एक मीडिया इदारे को बताया कि "मैडम के पति श्याम चरण मुर्मू ने उस वक्त कहा था कि राजनीति हमारे लिए नहीं. हम छोटे लोग हैं और औरतों के लिए तो राजनीति बुल्कुल भी ठीक नहीं है." विकास ने कहा "इसके बावजूद पिता जी अड़े रहे और को राजनी कर लिया."


कैसा रहा मुर्मू का सफर?


द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून साल 1958 में ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ. वह आदिवासी संथाल से ताल्लुक रखती हैं. पिता का नाम नारायण टुजू है. मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी. उनसे तीन बच्चे हैं. साल 2010 में उनके बड़े बेटे की मौत हो गई. साल 2013 में उनके छोटे बेटी की मौत हो गई. उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुई.


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