President Address to Nation: 75वें गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम खिताब किया. राष्ट्रपति ने कहा कि, संविधान ने ही सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने के लिए सामाजिक न्याय के रास्ते पर हमें अडिग बनाए रखा है. उन्होंने कहा कि देश 'अमृत काल' के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है जो देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा मौका है. उन्होंने कहा, हमारे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर नागरिक का योगदान काफी अहम होगा. इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों पर अमल करने की अपील करूंगी.


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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ये कर्तव्य, आजादी के 100 साल पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की सिम्त में प्रत्येक नागरिक का आवश्यक दायित्व है. उन्होंने राष्ट्रपति महात्मा गांधी के हवाले से कहा कि जिसने सिर्फ अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है, केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है. उन्होंने कहा, संस्कृति, मान्यताओं और परम्पराओं की विविधता, हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम है. हमारी विविधता का यह उत्सव, समता पर आधारित है जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है. यह सब, स्वतंत्र वातावरण में ही संभव हो पाता है. उन्होंने कहा, इन मूल्यों और सिद्धांतों की समग्रता ही हमारी भारतीयता का आधार है.



राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में डिजिटल विभाजन को पाटने और समानता पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण को समुचित प्राथमिकता दी जा रही है. राष्ट्रपति ने 75वें गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्र के नाम अपने खिताब में कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ऐलान 2020 में किया गया था, जिसने 1986 में स्वीकार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जगह ली थी. उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि देश के नौजवानों के आत्मविश्वास के बल पर ही भावी भारत का तामीर हो रही है. उन्होंने कहा कि नौजवानों के दिल व दिमाग को संवारने का काम शिक्षक करते हैं, जो सही मायनों में राष्ट्र का भविष्य बनाने में अहम रोल अदा करते हैं.