नई दिल्लीः राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आते ही भाजपा और विपक्षी खेमे दोनों में सरगर्मियां बढ़ती जा रही है. भाजपा को जहां अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए कुछ विपक्षी दलों को साधने की जरूरत है, वहीं उसकी नजर गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों के समर्थन पर टिकी हुई है. हालांकि विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार के तौर पर भी अभी किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई है. मंगलवार को शरद पवार ने पिवक्ष का साझा राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया है. वहीं, उन्हें मनाने और सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंची हैं. हालांकि विपक्षी दलों की बैठक के पहले ही वामदलों ने ममता की बैठक पर नाराजगी जाहिर कर इस बैठक को पहले ही संदिग्ध बना दिया है. राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है.

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विपक्षी एकता की होगी परीक्षा 
हालांकि विश्लेषकों की माने तो विपक्षी के राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर 15 तारीख को होने वाली बैठक को सिर्फ राष्ट्रपति उम्मीदवार पर एक राय कायम करने के लिए बुलाई गई बैठक के तौर पर इसे नहीं देखा जाना चाहिए. अगला राष्ट्रपति चुनाव यह दिखाएगा कि विपक्षी एकता कितनी मजबूत है और 2024 के आम चुनावों से पहले कैसे एक गठबंधन बनाया जा सकता है या नहीं. राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को अपने उम्मदवार को जिताने के लिए भी विपक्षी दलों के वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी खेमा किस उम्मीदवार के पक्ष में अपना मत देता है. 

भाजपा को है इतने मतों की जरूरत 
राष्ट्रपति चुनाव के लिए बनने वाले लगभग 10.86 लाख वोटों के एक निर्वाचक मंडल में, एनडीए में भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगी उम्मीदवार की जीत के लिए जरूरी आधे वोटों से अभी थोड़ा पीछे हैं. इस आंकड़े को पार करने के लिए भाजपा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजद) और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है. वाईएसआरसीपी के पास 40,000 से ज्यादा वोट हैं जबकि बीजद के पास 30,000 से ज्यादा वोट हैं. बीजद या वाईएसआरसीपी की हिमायत से, भाजपा उम्मीदवार आराम से चुनाव जीत जाएगा, लेकिन भाजपा खेमा अन्य छोटे और गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों की हिमायत से अपने वोट बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों पर पार्टी की नजर 
बीजद और वाईएसआरसीपी के अलावा दीगर दलों की हिमायत हासिल करने के लिए आम सहमति बनाने के लिए भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अधिकृत किया है. नड्डा और सिंह एनडीए के सहयोगियों, यूपीए के घटक दलों और यहां तक कि निर्दलीय सांसदों सहित अन्य के साथ विचार-विमर्श करेंगे. पार्टी सूत्र ने कहा कि देश भर में कई छोटे गैर-कांग्रेसी विपक्षी दल हैं, जिनसे संपर्क किया जाता है, तो वे भाजपा उम्मीदवार को वोट देंगे. उन्होंने कहा कि कई दल हैं, जो कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे हैं. 


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