बैलगाड़ी से हो रही थी शराब की तस्करी; इसे पकड़कर खुद मुसीबत में फंस गई पुलिस !
Bihar Police in dilemma after seizing two bullocks: यह मामला बिहार के गोपालगंज जिले का है, जहां बैलगाड़ी और दो बैल पुलिस के लिए समस्या बन गए हैं. नीलामी में इसकी कोई बोली नहीं लगाता है और दो बैलों के खाने का खर्चा पुलिस को उठाना पड़ रहा है.
गोपालगंजः बिहार में शराब की तस्करी (Liquor Smuggling in Bihar) को लेकर बहुत सख्त कानून है. शराब तस्करी में पकड़े गए आरोपी की जहां बेल नहीं होती है, वहीं जिस वाहन, घर या परिसर से शराब पाई जाती है, उसे सरकार जब्त कर नीलाम कर देती है. कानून की इसी सख्ती की वजह से बिहार के गोपालगंज जिले की पुलिस (Gopalganj Police) और उत्पाद विभाग के लिए दो बैल (bullocks) जी का जंजाल बन गए हैं. बड़े-बड़े मामलों को सुलझाने वाली पुलिस बैल के मामले में खुद बुरी तरह फंस गई है और इससे निकलने की पुलिस को फिलहाल कोई तरकीब नहीं सूझ रही है.
यह पूरा मामला जादोपुर थाना क्षेत्र का है. जादोपुर पुलिस के पास आठ महीनों से यह एक बैल का जोड़ा जान पर बोझ जैसा बना हुआ है. हालांकि, फिलहाल पुलिस ने इन दोनों बैलों की देखरेख का जिम्मा पैसे देकर एक किसान को दे दिया है.
गणतंत्र दिवस से पहले जब्त किए गए थे बैल और बैलगाड़ी
पुलिस के मुताबिक, गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले यानी 25 जनवरी 2022 को रामपुर टेंगराही गांव के नजदीक शराब की तस्करी के इल्जाम में एक बैलगाड़ी को पकड़ा गया था. थानाध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद सिंह के बयान पर मामला दर्ज किया गया था. प्राथमिकी के मुताबिक, एंटी लिकर टास्क फोर्स ने इस बैलगाड़ी को शराब तस्करी के मामले में जब्त किया था. पुलिस ने इस बैलगाड़ी से शराब भी बरामद किए थे. जब्त किए गए दो बैलों की जिम्मेदारी थाने के पुलिस पर आ गई थी. कुछ दिनों तक दोनों बैलों को थाना परिसर में रखा गया, लेकिन बाद में पुलिस ने थाने के पास के एक गांव के किसान को इन्हें रखने के लिए तैयार किया. पुलिस का कहना है कि बैलों को थाने में रखना आसान नहीं था, इसलिए पुलिस ने ये वैकल्पिक व्यवस्था अपनाया था.
पुलिस को मुफ्त में बैल का उठाना पड़ रहा है खर्चा
इस दौरान पुलिस ने अपनी इस परेशानी की जानकारी जिलाधिकारी को दी, तब जिलाधिकारी ने बैल और बैलगाड़ी की कीमत तय कर उसे नीलाम करने का निर्देश दे दिया. इस आदेश के बाद बैलों की कीमत 60 हजार रुपए तय कर दिए गए. नीलामी की दो तिथि गुजर गई, लेकिन बैल और बैलगाड़ी का कोई खरीददार सामने नहीं आया. बैल अभी भी पुलिस की हिरासत में है और किसान की देखरेख में है. किसान उसे रोज चारा तो खिला रहा है, लेकिन उससे उसका कोई फायदा नहीं हो रहा है. दूसरी तरफ किसान बैलों को लेकर डरा सहमा भी है. ग्रामीण को डर है कि अगर बैल को कुछ हो गया तो वह भी कानूनी रूप से फंस जाएगा.
नहीं मिल रहा है बैल का कोई खरीदार
इधर, गोपालगंज के उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार कहते हैं, ’’बैलों की नीलामी के प्रयास किए जा रहे हैं. नीलामी में कोई खरीदार इसलिए नहीं आ रहा है, क्योंकि अब बैलों का किसानों के लिए कोई महत्व नहीं है. बड़े किसान ट्रैक्टर रखते हैं, और छोटे किसान भी बैल रखने के बजाए किराए के ट्रैक्टर से खेत जोतने का काम करते हैं.’’ वहीं, बिहार में शराब कानूनों के तहत जिस वाहन से शराब जब्त होगा, उस वाहन को जब्त कर नीलाम करने का कानून है. इस वजह से बैलगाड़ी और बैल दोनों पुलिस के कब्जे में हैं, लेकिन इसका खरीदार पुलिस को कोई नहीं मिल रहा है.
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