Covid Related Guidelines: देश में कोरोना के मामलों में तेजी को देखते हुए सरकार अलर्ट पर है. राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार भी एहतियात बरत रही है. अस्पतालों में कोरोना को लेकर मॉक ड्रिल भी आयोजित किए जा रहे हैं. वहीं बच्चों के मास्क लगाने पर  जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अपनी राय जाहिर की है. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चों के लिए मास्क लगाने की अनिवार्यता से फायदे के बजाय ज्यादा नुकसान का अंदेशा है. एक जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों के लिये मास्क जरूरी किया जाना अवैज्ञानिक और हानिकारक है.


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अपनी बात को विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, सही ढंग से मास्क नहीं लगाने से वायरस के फैलने का खतरा बढ़ सकता है और कोविड के स्थानिक बनने के कारण मास्क की सीमित भूमिका रह गई है. हालांकि, सरकार ने फिलहाल कोविड संबंधी कोई गाइडलाइन या मास्क लगाने की हिदायात नहीं दी हैं, लेकिन दिल्ली में तकरीबन 200 प्राइवेट स्कूलों ने कोरोना के मामलों की बढ़ती तादाद को देखते हुए पहले ही स्टूडेंट्स और कर्मचारियों के लिए मास्क पहनना जरूरी कर दिया है. वहीं सामान्य चिकित्सक तथा संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा, "जब बीमारी स्थानिक होती है, तो सभी आयु समूहों और बच्चों के लिए मास्क का लाभ और भी कम हो जाता है, फिर, हमें यह याद रखने की जरूरत है कि मास्क सही तरीके से नहीं लगाने से वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है, यदि बच्चे मास्क को छूते रहेंगे, तो यह उन्हें संक्रमण के प्रति संवेदनशील बना देगा.



डॉ लहरिया ने कहा, "कोरोना के दौरान भी, WHO ने पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क की सलाह नहीं दी थी. पांच से 12 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी मास्क अनिवार्य नहीं बल्कि ऑप्शनल थे. इनका लाभ न के बराबर था, लिहाजा मास्क अनिवार्य नहीं हैं. डॉ लहरिया ने बताया कि मास्क का कोविड महामारी में एक निश्चित निवारक रोल है. जब वायरस नया था और लोगों को वैक्सीन नहीं लगाई गई थी, तो मास्क वायरस को फैलने से रोकने में सहायक था. उन्होंने कहा, "अब, जब कोविड स्थानिक और सर्वव्यापी है, तो वायरस को कम करने में सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय के रूप में मास्क का लिमिटिड रोल रह गया है.


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