पुणेः हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कुछ लोगों का मानना है कि सिर पर लंबे बाल रखना पवित्र होते हैं. ऐसी मान्यता है कि जटा एक दैवीय चीज है और इसे काटने से देवी-देवताओं के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है. अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाली कार्यकर्ता नंदनी जाधव अब तक ऐसी तकरीबन 250 महिलाओं के बढ़े हुए जटे को काट चुकी हैं. 
जाधव ने कहती हैं, ’’जटा को काटने के लिए कैंची उठाने से पहले महिलाओं और लड़कियों को यह समझाना बेहद मुश्किल होता है कि उलझे हुए बालों या जटा को बढ़ाना अंधविश्वास के अलावा कुछ कुछ नहीं है. आमतौर पर, उलझे हुए बालों के कारण उन्हें साफ रखना, कंघी करके संवारना और देखभाल करना मुश्किल होता है. 

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अंधविश्वास से लोगों को करती हैं जागरुक 
पेशे से ब्यूटीशियन जाधव महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) की एक सक्रिय मेंबर हैं. एमएएनएस पहले डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की रहनुमाई में काम करने वाली संगठन है, जिनकी अगस्त 2013 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जाधव ने कहा कि डॉ. दाभोलकर की मौत के बाद मैं एमएएनएस में शामिल हुई थी. कुछ सालों तक अंधविश्वास विरोधी मिशन से जुड़े रहने के बाद, मैंने उलझे हुए बालों से जुड़े अंधविश्वास से लड़ने के लिए अपनी पेशेवर कुशलता का इस्तेमाल करने का फैसला किया.

संभ्रात घरों की महिलाएं भी बढ़ाती हैं जटा 
जाधव कहती हैं, ’’ 2014-15 में उनकी मुलाकात एक बैंक प्रबंधक की बीवी से हुई, जो जटा रखती थीं. उन्होंने बताया कि जब हम उनके परिवार से मिले जिसमें सभी लोग शिक्षित थे, तो वे यह कहते हुए जटा कटाने के लिए तैयार नहीं हुए थे कि अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें किसी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.’’ जाधव ने बताया कि हमें पता चला कि महिला के उलझे हुए बालों की वजह से पति के साथ उनका रिश्ता तनावपूर्ण था. उन्होंने कहा कि घंटों की सलाह के बाद आखिरकार परिवार जटा को काटने के लिए राजी हो गया और आज वे एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. वहीं, पुणे में काम करने वाली शिल्पा ने कहा कि उनकी मां ने हाल ही में 20 साल बाद उलझे बालों से छुटकारा पा लिया है और आज वह एक सामान्य जिंदगी जी रही हैं.



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