Rahat Indori Birth Anniversary: 1 जनवरी 1950 इंदौर के छोटे से घर में राहत इंदौरी ने जन्म लिया. वालिद रफातुल्लाह जो मिल में काम करते थे और मां मक़बूल-उन-निसा बेगम को यह कतई अंदाजा नहीं था कि उनके घर एक ऐसे शख्स ने जन्म लिया है जो आगे चल कर हिंदुस्तान और दुनिया का अव्वल शायर कहलाएगा. अपनी बेबाक शायरी से लोगों के दिलों पर छाने वाले राहत इंदौरी का आज जन्म दिन है. इस खास मौके पर हम आपको उनके जरिए लिखे गए शेरों से रूबरे कराने वाले हैं. ये वे शेर हैं जिन्हें कोई भी पढ़ता है तो उसमें राहत इंदौरी की एक झलक इनमें दिखती है.


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मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना


शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे


उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है


हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं


अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते


मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए


रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है


ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर 
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे


रात की धड़कन जब तक जारी रहती है
सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है


चराग़ों का घराना चल रहा है
हवा से दोस्ताना चल रहा है