त्र्यंबकेश्वर मंदिर-दरगाह विवाद में मुसलमानों के पक्ष में उतरे फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता राज ठाकरे
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सद्र राज ठाकरे ने उस परंपरा का बचाव किया है, जिसके तहत मुसलमान मंदिर में धूप देते हैं. राज ठाकरे ने इस मामले में बाहरी लोगों के हस्तक्षेप का भी विरोध किया है और इस मामले को आपस में सुलझाने की अपील की है.
नासिकः महाराष्ट्र के मशहूर त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कथित तौर पर मुसलमानों के घुसने के विवाद में अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के सद्र राज ठाकरे भी कूद गए हैं. उन्होंने शनिवार को कहा कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर में मुसलमानों द्वारा धूप चढ़ाने की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना सही नहीं है.
पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के सद्र उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे ने कहा, “यह सौ साल पुरानी परंपरा है. इसे तोड़ना सही नहीं है, परंपराओं को रोका नहीं जाना चाहिए." इसके साथ ही, उन्होंने एक चेतावनी जारी की कि बाहरी लोगों को इस मामले में दखलअंदाजी नहीं करना चाहिए. इस मामले में फैसला लेने के लिए स्थानीय शहरवासी हैं. इस कस्बे के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे राज ठाकरे ने कहा, “निर्णय स्थानीय ग्रामीणों को लेने दीजिए... क्या कोई इस पर दंगा करना चाहता है? जब चीजें गलत हों तो हमें जरूर बोलना चाहिए."
सोशल मीडिया पर भड़के राज ठाकरे
राज ठाकरे ने मंदिर के प्रवेश द्वार पर अगरबत्ती चढ़ाने से रोके जाने की घटना की आलोचना की है. राज ठाकरे ने कहा कि अगर कुछ लोग केवल पुरानी परंपराओं का पालन कर रहे हैं तो क्या, हमारा (हिंदू) धर्म इतना कमजोर है कि वहां किसी के आने से कोई फर्क पड़ जाएगा ? ठाकरे ने इस तरह की बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने, गलतफहमियां फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर भी उंगली उठाई है और कहा कि पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी चीजों को लेकर कोई हिंसा न हो.
मंदिर या दरगाह में हिंदू-मुस्लिम दोनों जाते हैं
ठाकरे ने कहा, “ऐसे कई मंदिर और मस्जिद या दरगाह हैं जहाँ हिंदू और मुसलमान युगों से जाते रहे हैं.. मैंने कई मस्जिदों का दौरा किया है, और हमारे कई मुस्लिम भाई भी मंदिरों में आते हैं. लोग मिश्रित इलाकों में रहते हैं और बड़े होते हैं, लेकिन कोई समस्या नहीं हुई है.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि जब चीजें गलत हो रही हों तो बोलना चाहिए और पिछले दो वर्षों में मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के खिलाफ अपने अभियान का हवाला दिया, या माहिम दरगाह (मुंबई) से दूर अरब सागर में एक कथित अवैध टापू बन गया, जिसे मार्च में ध्वस्त कर दिया गया था.
मंदिर में धूप देने से क्यों भड़का विवाद ?
गौरतलब है कि पिछले 13-14 मई की रात हजरत पीर सैयद गुलाब शाहवाली बाबा दरगाह के वार्षिक उर्स में शामिल होने वाले कुछ मुसलमानों ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर के दरवाजे पर चढ़कर उसके अंदर धूप का धुंआ दिया था. इस बात को लेकर मंदिर प्रशासन ने कुछ हिंदूवादी संगठनों के कथित दबाव में आकर मुस्लिम युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था और मंदिर का शुद्धिकरण करवाया था. बाद में पुलिस ने इस मामले में चार मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन जांच में पाया गया कि ये वहां पुरानी परंपरा के तहत मंदिर में मुस्लिम युवकों द्वारा धूप दिखाया गया है. उर्स के लिए जब जुलूस निकलता है, तो रास्ते में पड़ने वाले त्र्यंबकेश्वर मंदिर के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए पिछले सौ सालों से वहां के स्थानीय मुसलमान मंदिर में धूप देते हैं. लेकिन इस बार इस मामले को तूल देकर इलाके का सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश की गई. विपक्षी दलों ने इसे प्रदेश में होने वाले निगम चुनाव, आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल खराब करने की कोशिश बताया है.
त्र्यंबकेश्वर में मंदिर में कथित 'अतिचार’ की घटना के बाद कथित झड़पों के तुरंत बाद, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की एसआईटी जांच का आदेश दिया है.
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