Rajkot Gaming Zone Case: गेमिंग जोन में बड़ी सुरक्षा खामियां सामने आने के बाद गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को राजकोट नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई. बता दें, यहां आग लगने से 28 लोगों की जान गई थी. न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की खास पीठ ने राज्य मशीनरी में विश्वास की कमी व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि पिछले अदालती आदेशों के बावजूद ऐसी त्रासदी कैसे हो सकती है.


गुजरात हाई कोर्ट ने क्या कहा?


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गुजरात हाई कोर्ट ने रविवार को टीआरपी गेम जोन में लगी आग का संज्ञान लिया और इसे "मैन मेड डिज़ास्टर" करार दिया, जहां सक्षम अधिकारियों से पर्याप्त अनुमोदन की कमी के कारण निर्दोष लोगों की जान चली गई.


रविवार को लग गई थी आग


शनिवार को लगी आग कथित तौर पर गेम जोन में चल रहे वेल्डिंग के काम की वजह से लगी थी. सुविधा में अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) का अभाव था और केवल एक ही एंट्री और एग्जिट प्वाइंट था, जिसकी वजह से आग ज्यादा बढ़ने में योगदान दिया. इलाके में हजारों लीटर पेट्रोल और डीजल जमा हो गया, जिससे हालात और भी खराब हो गए.


मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी


गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने स्थिति का आकलन करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया और घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया. एसआईटी को 72 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है.


गेमिंग जोन के मालिक और मैनेजर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और छह लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. गुजरात के डीजीपी ने राज्य के सभी गेमिंग जोन का निरीक्षण करने और अग्नि सुरक्षा अनुमति के बिना चल रहे गेमिंग जोन को बंद करने का निर्देश दिया है.