भोपाल: मरकज़ी वज़ीर रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का आज 74 बरस की उम्र में इंतेकाल हो गया था. जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे. जिन्हें दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था. इस बात की जानकारी उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी. 


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चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा कि पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं. Miss You Papa.


बता दें कि मरकज़ (केंद्र) में चाहे भी किसी भी की हुकूमत रही हो वे हमें मिनिस्टर बने रहे हैं. इसके पीछे की वजह बिहार की सियासत में उनकी मज़बूत पकड़ थी. उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की कयाम साल 2000 में किया था. राम विलास पहले जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदल गए तो उन्होंने अपनी पार्टी बना ली. दलितों की सियासत करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन का भी कयाम किया था. 


रामविलास पासवान 1969 में पहली बार अलौली सीट से असेंबली चुनाव जीते थे. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. यही वजह है कि 1977 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पासवान ने 9 बार लोकसभा सांसद रहे. जब उन्होंने एलजेपी का कयाम किया था तब वो यूपीए और लालू यादव के साथ थें. 


पासवान बिहार के खगरिया जिले के शाहरबन्नी गांव में एक शेड्यूल कास्ट में पैदा हुए थे. घरवालों ने 1960 उनकी शादी राजकुमारी देवी से कर दी. हालांकि उन्होंने 1981 में उन्हें तलाक दे दिया. पहली पत्नी से पासवान के दो बेटियां उषा और आशा हैं. पासवान पिछले 32 सालों में 11 चुनाव लड़ चुके थे और उनमें से नौ बार जीते भी थे. इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन इस बार 17वीं लोकसभा में उन्होंने मोदी हुकूमत में एक बार फिर से उपभोक्ता मामलात मंत्री पद की शपथ ली. पासवान 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकॉर्ड  भी बना चुके हैं. 


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