Lok Sabha Election: रामपुर में आजम खां के वफादार हैं कंफ्यूज; नहीं समझ पा रहे किसे दें वोट
Rampur Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने इस बार रामपुर में आजम खान को टिकट न देकर मुहिबुल्ला नदवी को दिया है. इससे सपा सपोर्टर पसोपेश में हैं कि वह क्या करें? वह नहीं समझ पा रहे हैं कि सपा का सपोर्ट करें या उसकी मुखालफत.
Rampur Lok Sabha Election: रामपुर की सियासत में करीब पांच दशक तक अपना दबदबा कायम रखने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री आजम खां इस बार रामपुर लोकसभा चुनाव मैदान में नहीं हैं. उनकी गैर मौजूदगी से उनके वफादार पार्टी कार्यकर्ता पसोपेश में हैं. सपा की रामपुर जिला इकाई तय नहीं कर पा रही है कि आजम खां के प्रभुत्व को बरकरार रखने के लिए उनसे वफादारी निभाए या फिर अप्रत्यक्ष रूप से खां के ‘राजनीतिक विकल्प’ के तौर पर पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बना कर भेजे गए मोहिबुल्लाह नदवी को जिताने के लिए जोर लगाए.
आजम ने दाखिल किया पर्टा
सपा ने इस वक्त सीतापुर जेल में बंद आजम खां के गढ़ में उनके किसी नुमाइंदे के बजाय दिल्ली में संसद मार्ग पर मौजूद एक मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाया है. किसी अन्य लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशी में बदलाव करना एक सामान्य बात हो सकती है लेकिन रामपुर के मामले में यह बात कतई मामूली नहीं है. भड़काऊ भाषण देने के मामले में अदालत से सजा मिलने पर नवंबर 2022 में अपनी विधानसभा सदस्यता गंवाने वाले आजम खां के करीबी आसिम राजा ने पार्टी की तरफ से मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिए जाने के बावजूद खुद को सपा उम्मीदवार बताते हुए नामांकन दाखिल किया था, लेकिन पर्चों की जांच में उनका नामांकन खारिज हो गया.
आजम को मिला सपोर्ट
आजम खां निर्विवाद रूप से रामपुर के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते रहे हैं. जिले में सपा से जुड़ी तमाम गतिविधियों में खां का सीधा प्रभाव रहा है लेकिन इस बार सपा ने एक तरह से उन्हें झटका देते हुए उनके किसी प्रतिनिधि तक को टिकट नहीं दिया. इसके चलते बनी असमंजस की स्थिति पर पार्टी जिला अध्यक्ष अजय सागर का कहना है कि पार्टी ने जो उम्मीदवार भेजा है उसे जिताने की पूरी कोशिश की जाएगी. सागर ने इस सवाल पर कि इस बार रामपुर के चुनावी मैदान में आजम खां या उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है, बेहद उदास लहजे में कहा, "हमें गहरा दुख है कि इस बार मंत्री जी (आजम खां) या उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है. हमें उनकी बहुत याद आ रही है. उनकी कमी बहुत खल रही है."
अजीब हालत हुई
जानकारों के मुताबिक नदवी की उम्मीदवारी ने सपा की स्थानीय इकाई के सामने अजीबोगरीब स्थिति खड़ी कर दी है कि अगर वह सपा के अधिकृत प्रत्याशी नदवी का साथ देती है तो आजम खां के दबदबे को चुनौती मिलेगी और अगर साथ नहीं देती है तो उस पर भीतरघात का आरोप लग सकता है. फर्जी आयु प्रमाण पत्र के मामले में सात साल की सजा मिलने के बाद सीतापुर जेल में बंद आजम खां से पिछली 22 मार्च को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुलाकात की थी. उस वक्त ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि खां ने अखिलेश से रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का आग्रह किया था.
मोहिबुल्लाह नदवी बने प्रत्याशी
हालांकि पार्टी में बाद में मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बना दिया. आजम खां के परिवार का कोई सदस्य फिलहाल उनकी विरासत को आगे बढ़ाने वाला नहीं है. उनकी पत्नी पूर्व विधायक तजीन फातिमा और पूर्व में विधायक रह चुके उनके छोटे बेटे अब्दुल्लाह आजम भी फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में सात-सात साल की कैद की सजा काट रहे हैं. उनके बड़े बेटे अदीब आजम ने हमेशा से खुद को राजनीति से दूर रखा है और मौजूदा हालात में भी वह सियासत से फासला बनाए हुए हैं. मूल रूप से रामपुर के ही रहने वाले सपा प्रत्याशी नदवी की क्षेत्र में गतिविधियां तोपखाना इलाके में स्थित उनके दफ्तर से संचालित की जा रही हैं.