Ratan Tata Work: मशहूर कारोबारी रतन टाटा का आज देहान्त हो गया. उन्होंने 86 साल की उम्र में आज यानी 10 अक्टूबर को आखिरी सांस ली. रतन टाटा ने कई बड़े काम किए, जिसमें से एक काम ये भी है कि उन्होंने दुनियाभर में लोगों के लिए तालीम और सेहत के लिए काम किया. रतन टाटा ने साल 1962 में अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में स्नातक की. लेकिन उन्होंने आर्किटेक्चर में अपना करियर नहीं बनाया. इसके बजाय उन्होंने टाटा स्टील में एक शॉप फ्लोर पर ट्रेनर के तौर पर काम शुरू किया.


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यूनिवर्सिटी के डोनर
वे कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी बने. वह इस यूनिवर्सिटी के सबसे बड़े दानदाताओं में से एक थे. इसके जरिए बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती थी. ये छात्रवृत्ति भारत में ग्रामीण गरीबी और कुपोषण को कम करने के लिए रिसर्च और तकनीकि नवाचार के लिए खर्च की जाती थी.


विरासत छोड़ गए टाटा
उन्हें याद करते हुए, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने एक लेख में कहा कि रतन टाटा ने कारोबार में अपनी कामयाबी का श्रेय कॉर्नेल आर्किटेक्चरल प्रशिक्षण को दिया. इंटरिम यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष माइकल आई. कोटलिकॉफ ने कहा, "रतन टाटा ने भारत, दुनिया भर में और कॉर्नेल में एक असाधारण विरासत छोड़ी है, जिसकी उन्हें फिक्र थी." उन्होंने कहा कि "दूसरों के प्रति उनकी उदारता और चिंता ने रिसर्च और स्कॉलरशिप को मजबूत बनाया. इससे भारत और उसके बाहर लाखों लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार हुआ."


छात्रों को स्कॉलरशिप
आपको बता दें कि साल 2008 में, टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन को टाटा ट्रस्ट्स की ओर से 50 मिलियन डॉलर का उपहार दिया गया. इसके जरिए भारत के छात्रों के लिए टाटा छात्रवृत्ति प्रदान की गई. साल 2017 में, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की ओर से 50 मिलियन डॉलर के निवेश ने न्यूयॉर्क शहर में कॉर्नेल टेक के रूजवेल्ट द्वीप परिसर में टाटा इनोवेशन सेंटर बनाने में मदद की.