Reasi Attack Update: रियासी जिले में हुए हमले से पूरा हिंदुस्तान स्तब्ध है और सोशल मीडिया पर इसको लेकर कई ट्रेंड्स भी चल रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों की तलाश में एक कैंपेन शुरू कर दिया गया है, यह वही आतंकी हैं जिन्होंने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के रियासी जिले में हिंदू तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हमला किया था. इस हमले में दो साल के एक बच्चे समेत नौ लोगों की मौत हुई थी.


रियासी हमले के चश्मदीदों ने बताई आपबीती


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बस शिव खोरी, एक अन्य तीर्थस्थल से कटरा, वैष्णो देवी लौट रही थी, जब कम से कम तीन विदेशी आतंकवादियों ने वाहन पर गोलीबारी की. चालक को गोली लगने के बाद, बस सड़क से उतर गई और गहरी खाई में गिर गई. चश्मदीदों ने बताया कि आतंकवादियों ने क्षतिग्रस्त बस पर भी गोलीबारी की ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके.


मरने का किया छलावा


बस हमले में जिंदा बचे लोगों ने बताया कि उन्होंने आतंकवादियों को वाहन पर गोलीबारी करने से रोकने के लिए मृत होने का नाटक किया. यूपी के बलरामपुर जिले के निवासी संतोष कुमार वर्मा ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार एक आतंकवादी को वाहन का रास्ता रोकते देखा, तो उन्हें लगा कि वे बच नहीं पाएंगे. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने ड्राइवर का सिर स्टीयरिंग व्हील पर गिरते देखा। इसके बाद बस खाई में गिर गई.


एक दूसरे चश्मदीद ने बताया कि वे बिना कोई हरकत किए जमीन पर पड़े रहे. उन्होंने कहा, "जब तक आतंकवादी चले नहीं गए, हम मरने का नाटक करते रहे." रजत वर्मा ने कहा कि उनके 14 साल के बच्चे की इस हमले में मौत हो गई है.


उन्होंने अखबार को बताया, "अचानक, किसी ने चिल्लाकर कहा कि आतंकवादियों ने बस पर हमला कर दिया है. मैंने तुरंत अपनी पत्नी और बेटे को सीट के नीचे धकेल दिया, लेकिन इससे पहले कि हम छिप पाते, बस खाई में गिर गई और मैंने अपने बेटे पर से पकड़ खो दी."


11 टीमें कर रही हैं आतंकियों की तलाश


एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की 11 टीमें आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए दो अलग-अलग धुरी पर संयुक्त रूप से काम कर रही हैं. प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक छद्म समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने शुरू में हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में अपने बयान से मुकर गया.


41 लोगों में से 10 को गोली के घाव


यह अभियान दुर्गम इलाकों में चलाया जा रहा है. एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि घने जंगल, पानी के स्रोतों की कमी, जंगल में आग लगने का खतरा, खड़ी ढलानें और प्राकृतिक छिपने के लिए इस्तेमाल होने वाली दरारों के बावजूद सुरक्षा बल आतंकवादियों को रोकने के लिए तैनात हैं.