Supreme Court on EWS: आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसद आरक्षण देना जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने इस फैसले पर महुर लगा दी है. 5 जजों में से 3 जजों ने इस फैसले की हिमायत की. मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने फैसला दिया है. इस बेंच की अगुआई जस्टिस यूयू ललित कर रहे थे.


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रिजर्वेशन के फैसले पर जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जिस्टिस पारदीवाला ने रिजर्वेशन की हिमायत की है. चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट इसके खिलाफ हैं.


दरअसल, साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने जेनेरल कटेगरी के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 फीसद रिजर्वेशन देने के लिए संविधान में 130वां संशोधन किया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा अर्जियां दाखिल की गई थीं. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 27 सिंतबर को अपना फैसला महफूज रख लिया था. 


क्या है EWS कोटा?


जनवरी 2019 में मोदी सरकार ने संविधान में 103वां संशोधन किया. इसके तहत सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों और पढ़ाई के लिए आर्थिक तौर पर 10 फीसद का रिजर्वेशन दिए जाने का प्रोविजन दिया गया. 


कानून ये है कि आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए. देश भर में SC,ST और OBC वर्ग के लोगों को जो रिजर्वेशन मिलता है. वह 50 फीसद के अंदर आता है. लेकिन सामान्य वर्ग का 10 फीसद कोटा, इस 50 फीसद कोटे से बाहर है. 


सरकार ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि सामान्य वर्ग को 10 फीसद रिजर्वेशन देकर सरकार सभी को बराबरी के मौके देकर 'सामाजिक समानता' को बरकरार रखना चाहती है.


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