क्या मुसलमानों के धार्मिक मामले में जबरन दखल दे रहे हैं योगी; बारावफात जुलूस पर UP में गर्म हुई सियासत
UP News: उत्तर प्रदेश में बारावफात को लेकर जारी सरकार की नई गाइडलाइन पर सियासत गरमा गई है. संभल से समाजवादी पार्टी सांसद जिया उर-रहमान बर्क ने इस नई गाइडलाइन को लेकर सीएम योगी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि `मजहबी जुलूसों में सरकार का कानूनी हस्तक्षेप बर्दाश्त है, लेकिन मजहबी जुलूस को रोकने के लिए सरकार की जबरदस्ती मंजूर नहीं है.`
Eid-e-milad-un-nabi 2024: बारावफात यानी ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार 16 सितंबर को पूरे देश में मनाया जाएगा. इसको लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक गाइडलाइन जारी की है. जिसस पर सियासत गरमा गई है. संभल से सपा सांसद जिया उर-रहमान बर्क ने इस नई गाईड लाइन पर सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार जमकर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा कि मजहबी जुलूसों में सरकार का कानूनी हस्तक्षेप बर्दाश्त है, लेकिन मजहबी जुलूस को रोकने के लिए सरकार की जबरदस्ती मंजूर नहीं है." इतना ही नहीं लोकसभा सदस्य बर्क ने सीएम योगी को उस बयान को आड़े हाथ लिया जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी को मस्जिद कहे जाना दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.
दरअसल, यूपी सरकार ने बारावफात को लेकर आज एक गाइडलाइन जारी की है. गाइड लाइन के मुताबिक, जुलूस में लोगों की संख्या सीमित रखे जाने का भी निर्देश दिया गया है. जिसके बाद सियासत गरमा गई है.सपा सांसद ने सरकार की नई गाइड लाइन पर बयान देते हुए कहा , "मजहबी जुलूसों को निकल जाने के मामले में कानूनी हस्तक्षेप बर्दाश्त है, लेकिन मजहबी जुलूस को रोकने के लिए जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं है."
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जुलूस में लोगों की तादाद सीमित रखना कतई मंजूर नहीं; सांसद बर्क
उन्होंने आगे कहा कि नई गाइडलाइन के मुताबिक प्रशासन को यह जानकारी तो देंगे की जुलूस में कितने लोग शामिल होंगे. लेकिन जुलूस में शामिल होने वालों की तादाद सीमित रखे जाना कतई मंजूर नहीं है. सपा नेता बर्क ने सीएम योगी के ज्ञानवापी को मस्जिद कहे जाना दुर्भाग्यपूर्ण वाले बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सीएम योगी खुद को कोर्ट से ऊपर समझते हैं. ज्ञानवापी के मामले में सीएम योगी की भाषा ठीक नहीं है.
SC को सीएम के बयान का खुद संज्ञान लेना चाहिए; MP
ज्ञानवापी में मुस्लिम समुदायके लोग नमाज़ पढ़ते हैं, इसलिए वह उसे मस्जिद कह सकते हैं. जबकि मामला कोर्ट में है, लेकिन सीएम योगी खुद को कोर्ट से ऊपर समझ रहे हैं. उन्होंने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय को मुख्यमंत्री योगी के इस बयान का संज्ञान लेना चाहिए . योगी देश के सबसे बड़े प्रदेश के सीएम हैं उन्हें इस तरह की भाषा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए. वह अहसास ए कमतरी का शिकार है , उनके पास कोई मुद्दा नहीं है."