मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने सत्येंद्र जैन की ज़मानत याचिका का किया विरोध; कही ये बात
Satyendar Jain: दिल्ली सरकार के वज़ीर सत्येंद्र जैन की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आम आदमी पार्टी के मंत्री सत्येंद्र जैन की ज़मानत याचिका का विरोध किया है.
Money Laundering Case: दिल्ली सरकार के वज़ीर सत्येंद्र जैन की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आम आदमी पार्टी के मंत्री सत्येंद्र जैन की ज़मानत याचिका का विरोध किया है. ईडी ने धनशोधन के एक मामले में जेल में बंद AAP के लीडर और केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की ज़मानत अर्ज़ी का दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष सोमवार को पुरज़ोर विरोध किया. पिछले साल 30 मई को गिरफ्तार किये गये जैन कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोपी हैं.
ED ने ज़मानत अर्ज़ी का किया विरोध
ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की सिंगल बेंच के सामने दलील दी कि सत्येंद्र जैन का यह कहना है कि अपराध की कमाई का कोई सबूत नहीं है, लेकिन रिकॉर्ड पर उपलब्ध सबूत चीख़-चीख़कर इन इल्ज़ामात की तस्दीक़ कर रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत के सामने दायर अपने जवाब में कहा है कि जैन की ज़मानत याचिका ख़ारिज की जानी चाहिए क्योंकि उनकी रिहाई से जांच प्रभावित होगी. जंच एजेंसी ने कहा है कि तिहाड़ जेल से बरामद सीसीटीवी फुटेज में इस बात के पुख़्ता सबूत हैं कि सत्येंद्र जैन रखू़स रखने वाले व्यक्ति हैं, जो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और कार्यवाही को प्रभावित कर सकते हैं.
21 फरवरी को होगी सुनवाई
एस. वी. राजू ने अपनी दलील में कहा, मनी लॉन्ड्रिंग का मामला साफ़ है. ईडी ने अपने जवाब में कहा है कि इस बात के साफ़ सबूत मौजूद हैं कि जैन तिहाड़ जेल में बंद सह-अभियुक्त वैभव जैन और अंकुश जैन को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि जैन जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और वह टालमटोल वाला जवाब दे रहे हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख़ तय की गई है. बता दें कि सत्येंद्र जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामल में ज़मानत की अपील की है उन्होंने अपनी अर्ज़ी में कहा है कि वो गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए उन्हें ज़मानत दे दी जाए.
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