नई दिल्लीः सऊदी अरब की सरकार द्वारा तेल उत्पादन में बड़े पैमाने पर की जाने वाली कटौती के ऐलान से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट अब थम सकती है. उद्योग सूत्रों की माने तो ऐसे में भारत में ईंधन की कीमतों में होने वाली समीक्षा में देरी हो सकती है. इससे भारत में तेल की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है. सऊदी अरब ने इतवार को कहा था कि वह जुलाई से तेल उत्पादन में प्रतिदिन 10 बैरल की कटौती करेगा. दूसरी तरफ, ओपेक और अन्य उत्पादक देश आपूर्ति में की गई कटौती को 2024 के आखिर तक बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. 
गौरतलब है कि इस फैसले की वजह से सोमवार को तेल की कीमतों में एक डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. ब्रेंट क्रूड वायदा 78.73 डॉलर प्रति बैरल के ऊपरी स्तर पर पहुंचने के बाद शुरुआती कारोबार में 1.51 डॉलर या दो फीसदी की तेजी के साथ 77.64 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर था.

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कीमतों में कमी की थी संभावना 
ईंधन की कीमतों में होने वाली यह तेजी भारत के लिए आयातित कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी को भी प्रभावित करेगी. बीते दिनों भारत को आयातित तेल के लिए औसतन 72 डॉलर प्रति बैरल की दर से भुगतान करना पड़ रहा था. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की जा सकती है, लेकिन अब यह संभव नहीं होगा. कीमतों में कमी के बजाए ईंधन के मूल्य में तेजी देखने को मिल सकती है.

अब तक पिछले नुकसान की भरपाई कर रही थी तेल कंपनियां 
उद्योग जगत के एक अधिकारी ने कहा, "भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई कर रही थीं. पिछले महीने, अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें और खुदरा बिक्री मूल्य बराबरी पर आ गया था. वहीं, अब कीमतें बढ़ने के साथ, लागत और बिक्री मूल्य में फिर बड़ा फर्क आ जाएगा." गौरतलब है कि भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात से पूरा करना है और ईंधन कीमतें अंतरराष्ट्रीय दरों से प्रभावित होती हैं. राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 89.62 रुपये प्रति लीटर है. इसमें आने वाले दिनों में इजाफा हो सकता है. 


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