नई दिल्लीः भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, लेकिन जब 1960 के दशक में किस पक्षी को नेशनल बर्ड का दर्जा दिया जाए, इस मुद्दे पर चर्चा चल रही थी तब बर्डमैंन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर भारत के पक्षी वैज्ञानिक सालिम अली ने मोर के बजाए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard ) को राष्ट्रीय पक्षी बनाया जाए. उस वक्त सालिम अली का यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया था. इस प्रस्ताव के लगभग 60 साल बाद ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस लुप्तप्राय पक्षी गोदावन (Great Indian Bustard ) के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ‘बाघ परियोजना’ की तर्ज पर ‘जीआईबी परियोजना’ शुरू करने की सलाह दी है. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से राय मांगी है. शीर्ष अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गोदावन यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard ) पक्षी को बचाने के लिए निर्देश दिए जाने की अपील की गई थी. 

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खुले बिजली तारों को भूमिगत करने का निर्देश 
भारत की सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी प्रजाति माने जाने वाले गोदावन खास तौर पर राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं.चंद्रचूड़ की सदारत वाली बेंच ने राजस्थान और गुजरात के मुख्य सचिवों से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ‘बर्ड डायवर्टर’ (पक्षियों को हटाने के काम आने वाला यंत्र) लगाने पर छह सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों में बिजली के तारों को भूमिगत किए जाने पर भी राय मांगी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि करंट लगने से किसी पक्षियों की होने वाली मौतों को रोका जा सके. 
हाई-वोल्टेज भूमिगत बिजली केबल बिछाने की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए पीठ ने पूर्व में तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया था. समिति में वैज्ञानिक राहुल रावत, सुतीर्थ दत्ता और कॉर्बेट फाउंडेशन के उप निदेशक देवेश गढ़वी शामिल हैं. इसने समिति को जीआईबी की सुरक्षा के लिए कदमों पर एक अपडेटेड स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. 

विलुप्त होने के कगार पर गोदावन 
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की 2021 की  एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोदावन पक्षी भारत में विलुप्त होने के कगार पर हैं, और इस प्रजाति के बमुश्किल 50 से 249 पक्षी जीवित बचे हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए ‘बाघ परियोजना’ की तर्ज पर ‘जीआईबी परियोजना’ शुरू करने की सलाह दी है. बाघों को बचाने के लिए सरकार ने 1973 में ‘बाघ परियोजना’ शुरू की थी. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. 


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